मेरे कंठ बसो महारानी (Mere Kanth Baso Maharani)

मेरे कंठ बसो महारानी,

ना मैं जानू पूजा तेरी,

ना मैं जानू महिमा तेरी,

मैं मूरख अज्ञानी,

मेरे कंठ बसो महारानी ॥


सुर में ताल में लय और राग में,

तुम ही हो रागिनी माँ,

सात सुरो की हो वरदानी,

माँ शारदे वीणा पाणी,

मेरे कंठ बसो महारानी ॥


ब्रम्हा जी की हो ब्रम्हाणी,

लक्ष्मी हो विष्णु प्रिया हो,

काली गौरी दुर्गा भी हो,

तुम हो शिव की शिवानी,

मेरे कंठ बसो महारानी ॥


जब भी गाउँ महिमा तुम्हारी,

ना बहकु ना भटकु,

“लख्खा” सुनाये प्रेम से सबको,

तेरी अमर कहानी,

मेरे कंठ बसो महारानी ॥


मेरे कंठ बसो महारानी,

ना मैं जानू पूजा तेरी,

ना मैं जानू महिमा तेरी,

मैं मूरख अज्ञानी,

मेरे कंठ बसो महारानी ॥

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अथ तन्त्रोक्तं रात्रिसूक्तम् (Ath Tantroktam Ratri Suktam)

तन्त्रोक्तम् रात्रि सूक्तम् यानी तंत्र से युक्त रात्रि सूक्त का पाठ कवच, अर्गला, कीलक और वेदोक्त रात्रि सूक्त के बाद किया जाता है।

माँगा है मैने मैया से, वरदान एक ही(Manga Hai Maine Maiya Se Vardaan Ek Hi)

माँगा है मैने मैया से,
वरदान एक ही,

गणेश चालीसा (Ganesh Chalisa)

प्रथम वंदनीय गणेशजी को समर्पित मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की आराधना का विशेष महत्व है।

हाथ जोड़ विनती करू तो सुनियो चित्त लगाये - विनती भजन (Shyam Puspanjali Shri Khatu Shyamji Vinati)

हाथ जोड़ विनती करूं सुणियों चित्त लगाय,
दास आ गयो शरण में रखियो इसकी लाज,

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