ब्रह्मानंदम परम सुखदम (Brahamanandam, Paramsukhdam)

ब्रह्मानंदम परम सुखदम,

केवलम् ज्ञानमूर्तीम्,

द्वंद्वातीतम् गगन सदृशं,

तत्वमस्यादि लक्षम ।


एकं नित्यं विमल मचलं,

सर्वाधी साक्षीभुतम,

भावातीतं त्रिगुण रहितम्,

सदगुरु तं नमामी ॥


धूम मची हर नभ में फूटे,

रस की फुहारे ।

अनहद के आँगन में नाचे,

चँदा सितारे ॥


अबीर गुलाल के बादल गरजे,

फागुन सेज सजाए ।

दूर अधर बिजली यूँ कौंधे,

रंग दियो छिड़काए ॥


रास रंग मदिरा से बरसे,

प्रेम अगन सुलगाए ।

चहक उठे सब डाल पात सब,

एक ही रंग समाए ॥

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कहत हनुमान जय श्री राम (Kahat Hanuman Jai Shri Ram)

श्री राम जय राम
जय जय राम

फुलेरा दूज पूजा विधि

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मां दुर्गा के पवित्र मंत्र

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हे त्रिपुरारी गंगाधरी(Hey Tripurari Gangadhari)

हे त्रिपुरारी गंगाधरी
सृष्टि के आधार,

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