चटक मटक चटकीली चाल, और ये घुंघर वाला बाल (Chatak Matak Chatkili Chaal Aur Ye Ghunghar Wala Baal)

चटक मटक चटकीली चाल,

और ये घुंघर वाला बाल,

तिरछा मोर मुकट सिर पे,

और ये गल बैजंती माल,

तेरी सांवरी सुरतिया,

पे दिल गई हार,

तेरी सांवरी सुरतिया,

पे दिल गई हार ॥


नटखट नटवर नन्द दुलारे,

तुम भक्तो के प्राण आधारे,

चंचल चितवन चीर चुरइयाँ,

सबकी नैया पार लगइयाँ,

तेरी सांवरी सुरतिया,

पे दिल गई हार,

तेरी सांवरी सुरतिया,

पे दिल गई हार ॥


केसरिया बागा तन सोहे,

बांकी अदा मेरा मन मोहे,

कैसी मंत्र मोहनी डाली,

मैं सुध भूल भई मतवारी,

तेरी सांवरी सुरतिया,

पे दिल गई हार,

तेरी सांवरी सुरतिया,

पे दिल गई हार ॥


पल पल करू वंदना तेरी,

पूरी करो कामना मेरी,

छवि धाम रूप रस खानी,

प्रीत की रीत निभानी जानी,

तेरी सांवरी सुरतिया,

पे दिल गई हार,

तेरी सांवरी सुरतिया,

पे दिल गई हार ॥


चटक मटक चटकीली चाल,

और ये घुंघर वाला बाल,

तिरछा मोर मुकट सिर पे,

और ये गल बैजंती माल,

तेरी सांवरी सुरतिया,

पे दिल गई हार,

तेरी सांवरी सुरतिया,

पे दिल गई हार ॥

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बाबा बैद्यनाथ हम आयल छी भिखरिया (Baba Baijnath Hum Aael Chhi Bhikhariya)

बाबा बैद्यनाथ हम आयल छी भिखरिया,
अहाँ के दुअरिया ना,

चैत्र माह की पौराणिक कथा

नवरात्रि का अर्थ नौ रातें होता है, जो हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि। इस दौरान मां दुर्गा की पूजा आराधना की जाती है। उनके नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्र का खास महत्व है।

महांकाल मेरी मंजिल, उज्जैन है ठिकाना (Mahakal Meri Manzil Ujjain Hai Thikana)

महाकाल मेरी मंजिल,
उज्जैन है ठिकाना,

शीतला अष्टमी पर शीतला माता की पूजा विधि

शीतला अष्टमी जिसे बसोड़ा भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है।

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