चित्रकूट के घाट-घाट पर, शबरी देखे बाट (Chitrakoot Ke Ghat Ghat Par Shabri Dekhe Baat)

चित्रकूट के घाट घाट पर,

शबरी देखे बाट,

राम मेरे आ जाओ,

राम मेरे आ जाओ,

चित्रकुट के घाट घाट पर,

शबरी देखे बाट,

राम मेरे आ जाओ ॥


अपने राम जी को,

कहाँ मैं बिठाऊँ,

कहाँ मैं बिठाऊँ,

टुटी फूटी खाट खाट प,

बिछया पुराना टाट,

राम मेरे आ जाओ,

॥ चित्रकुट के घाट घाट..॥


अपने राम जी को,

क्या मैं खिलाऊँ,

क्या मैं खिलाऊँ,

छोटे छोटे पेड़ पेड़ प,

लगे सुनहरी बेर,

राम मेरे आ जाओ,

॥ चित्रकुट के घाट घाट..॥


अपने राम को,

कया मैं पिलाऊं,

कया मैं पिलाऊं,

कपला गाढा दुध,

दुध में पड़ी मलाई खुब,

राम मेरे आ जाओ,

॥ चित्रकुट के घाट घाट...॥


अपने राम जी को,

कहां मैं झुलाऊँ,

कहां मैं झुलाऊँ,

छोटी डाली आम आम प,

झूले सीता राम,

राम मेरे आ जाओ,

॥ चित्रकुट के घाट घाट..॥


अपने राम जी को,

कैसे मैं रिझाऊँ,

कैसे मैं रिझाऊँ,

दीन हीन मोहे जान,

ना ही कोई भक्ति ज्ञान,

राम मेरे आ जाओ,

॥ चित्रकुट के घाट घाट...॥


चित्रकूट के घाट घाट पर,

शबरी देखे बाट,

राम मेरे आ जाओ,

राम मेरे आ जाओ,

चित्रकुट के घाट घाट पर,

शबरी देखे बाट,

राम मेरे आ जाओ ॥

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नवंबर के शुभ मुहूर्त

देवशयनी एकादशी से लेकर देव उठनी एकादशी तक हिंदू धर्म में शुभ कार्य बंद रहते हैं। देव उठते ही सभी तरह के मंगल कार्य आरंभ हो जातें हैं।

आया बुलावा भवन से (Aaya Bulawa Bhawan Se)

आया बुलावा भवन से,
मैं रह ना पाई ॥

रक्षा करो मेरे राम(Raksha Karo Mere Ram)

रक्षा करो मेरे राम,
रक्षा करों मेरे राम,

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी (Jyeshth Maas Ki Shukla Paksh Ki Nirjala Ekaadashi)

एक समय महर्षि वेद व्यास जी महाराज युधिष्ठिर के यहाँ संयोग से पहुँच गये। महाराजा युधिष्ठिर ने उनका समुचित आदर किया, अर्घ्य और पाद्य देकर सुन्दर आसन पर बिठाया, षोडशोपचार पूर्वक उनकी पूजा की।

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