चित्रकूट के घाट-घाट पर, शबरी देखे बाट (Chitrakoot Ke Ghat Ghat Par Shabri Dekhe Baat)

चित्रकूट के घाट घाट पर,

शबरी देखे बाट,

राम मेरे आ जाओ,

राम मेरे आ जाओ,

चित्रकुट के घाट घाट पर,

शबरी देखे बाट,

राम मेरे आ जाओ ॥


अपने राम जी को,

कहाँ मैं बिठाऊँ,

कहाँ मैं बिठाऊँ,

टुटी फूटी खाट खाट प,

बिछया पुराना टाट,

राम मेरे आ जाओ,

॥ चित्रकुट के घाट घाट..॥


अपने राम जी को,

क्या मैं खिलाऊँ,

क्या मैं खिलाऊँ,

छोटे छोटे पेड़ पेड़ प,

लगे सुनहरी बेर,

राम मेरे आ जाओ,

॥ चित्रकुट के घाट घाट..॥


अपने राम को,

कया मैं पिलाऊं,

कया मैं पिलाऊं,

कपला गाढा दुध,

दुध में पड़ी मलाई खुब,

राम मेरे आ जाओ,

॥ चित्रकुट के घाट घाट...॥


अपने राम जी को,

कहां मैं झुलाऊँ,

कहां मैं झुलाऊँ,

छोटी डाली आम आम प,

झूले सीता राम,

राम मेरे आ जाओ,

॥ चित्रकुट के घाट घाट..॥


अपने राम जी को,

कैसे मैं रिझाऊँ,

कैसे मैं रिझाऊँ,

दीन हीन मोहे जान,

ना ही कोई भक्ति ज्ञान,

राम मेरे आ जाओ,

॥ चित्रकुट के घाट घाट...॥


चित्रकूट के घाट घाट पर,

शबरी देखे बाट,

राम मेरे आ जाओ,

राम मेरे आ जाओ,

चित्रकुट के घाट घाट पर,

शबरी देखे बाट,

राम मेरे आ जाओ ॥

........................................................................................................
क्यों मनाई जाती है मत्स्य द्वादशी?

मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाने वाली मत्स्य द्वादशी भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की जयंती के रूप में मनाई जाती है।

जिस दिल में आपकी याद रहे(Jis Dil Main Aapki Yaad Rahe)

जिस दिल में आपकी याद रहे
प्रभु दिल मेरा वो दिल करदो

नर से नारायण बन जायें(Nar Se Narayan Ban Jayen Prabhu Aisa Gyan Hamen Dena)

नर से नारायण बन जायें, प्रभु ऐसा ज्ञान हमें देना॥
दुखियों के दुःख हम दूर करें, श्रम से कष्टों से नहीं डरें।

आउंगी आउंगी मै अगले, बरस फिर आउंगी (Aaungi Aaungi Main Agle Baras Phir Aaungi)

आउंगी आउंगी मैं अगले,
बरस फिर आउंगी,

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।