दुःख की बदली, जब जब मुझ पे छा गई(Dukh Ki Badli Jab Jab Mujhpe Cha Gayi )

दुःख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई,

वो आ गई वो आ गई,

वो आ गई मेरी माँ,

दुख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई ॥


जब जब संकट आया है,

माँ को सामने पाया है,

दुनिया ने रिश्ते तोड़े,

इसने साथ निभाया है,

रोते हुए को हसा गई,

अपने गले लगा गई,

वो आ गई वो आ गई,

वो आ गई मेरी माँ,

दुख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई ॥


स्वार्थ के संसार में,

तू ही एक सहारा है,

तेरे बिना इस जग में माँ,

कोई नहीं हमारा है,

हारे हुए को जीता गई,

भक्त का मान बढ़ा गई,

वो आ गई वो आ गई,

वो आ गई मेरी माँ,

दुख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई ॥


ये सच्ची दातार है,

इसकी दया अपार है,

इसकी रहमत से चलता,

मेरा घर संसार है,

‘रजनी’ की बिगड़ी बना गई,

हर घड़ी लाज बचा गई,

वो आ गई वो आ गई,

वो आ गई मेरी माँ,

दुख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई ॥


दुःख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई,

वो आ गई वो आ गई,

वो आ गई मेरी माँ,

दुख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई ॥

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लेके पूजा की थाली, ज्योत मन की जगाली(Leke Pooja Ki Thali Jyot Man Ki Jagali)

लेके पूजा की थाली
ज्योत मन की जगा ली

बरसाने की लट्ठमार होली

बरसाने में हर साल लट्ठमार होली फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर मनाई जाती है। इस साल 2025 में यह त्योहार 8 मार्च को मनाया जाएगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान श्रीकृष्ण अपने मित्रों के साथ राधारानी से भेंट करने के लिए बरसाना गए, और वहां जाकर राधारानी और उनकी सखियों को छेड़ने लगे।

मत्स्य अवतार की पूजा कैसे करें?

मत्स्य अवतार भगवान विष्णु के दस अवतारों में से प्रथम है। मत्स्य का अर्थ है मछली। इस अवतार में भगवान विष्णु ने मछली के रूप में आकर पृथ्वी को प्रलय से बचाया था।

गुरू प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रदोष व्रत सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। हर महीने दो प्रदोष व्रत और पूरे साल में 24 व्रत होते हैं।

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