गजानंद आँगन आया जी(Gajanand Aangan Aaya Ji )

म्हारा माँ गौरी का लाल,

गजानंद आंगन आया जी,

आँगन आया जी गजानंद,

आंगन आया जी,

म्हारा माँ गौरी का लाल,

गजानन्द आँगन आया जी ॥

पान चड़ाऊ फूल चड़ाऊ,

और चड़ाऊ मेवा जी,

लडूवन का तो भोग लगाऊं,

श्री गणराया जी,

म्हारा माँ गौरी का लाल,

गजानन्द आँगन आया जी ॥


रिद्धि मनाऊं सिद्धि मनाऊं,

और मनाऊं माँ गौरा जी,

शिव शंकर का ध्यान लगाऊं,

प्रथमे ध्यावा जी,

म्हारा माँ गौरी का लाल,

गजानन्द आँगन आया जी ॥


द्वार सजावा कलश सजावा,

बंदनवार लगावां जी,

धूप दीप और करा आरती,

मंगल गावां जी,

म्हारा माँ गौरी का लाल,

गजानन्द आंगन आया जी ॥


म्हारा माँ गौरी का लाल,

गजानंद आँगन आया जी,

आंगन आया जी गजानंद,

आंगन आया जी,

म्हारा माँ गौरी का लाल,

गजानन्द आँगन आया जी ॥


........................................................................................................
लिङ्गाष्टकम् (Lingashtakam)

ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥

श्री हरितालिका तीज व्रत कथा (Shri Haritalika Teej Vrat Katha)

श्री परम पावनभूमि कैलाश पर्वत पर विशाल वट वृक्ष के नीचे भगवान् शिव-पार्वती एवं सभी गणों सहित अपने बाघम्बर पर विराजमान थे।

मारने वाला है भगवान, बचाने वाला है भगवान (Marne Wala Hai Bhagwan Bachane Wala Hai Bhagwan)

श्रद्धा रखो जगत के लोगो,
अपने दीनानाथ में ।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने