गजानंद आँगन आया जी(Gajanand Aangan Aaya Ji )

म्हारा माँ गौरी का लाल,

गजानंद आंगन आया जी,

आँगन आया जी गजानंद,

आंगन आया जी,

म्हारा माँ गौरी का लाल,

गजानन्द आँगन आया जी ॥

पान चड़ाऊ फूल चड़ाऊ,

और चड़ाऊ मेवा जी,

लडूवन का तो भोग लगाऊं,

श्री गणराया जी,

म्हारा माँ गौरी का लाल,

गजानन्द आँगन आया जी ॥


रिद्धि मनाऊं सिद्धि मनाऊं,

और मनाऊं माँ गौरा जी,

शिव शंकर का ध्यान लगाऊं,

प्रथमे ध्यावा जी,

म्हारा माँ गौरी का लाल,

गजानन्द आँगन आया जी ॥


द्वार सजावा कलश सजावा,

बंदनवार लगावां जी,

धूप दीप और करा आरती,

मंगल गावां जी,

म्हारा माँ गौरी का लाल,

गजानन्द आंगन आया जी ॥


म्हारा माँ गौरी का लाल,

गजानंद आँगन आया जी,

आंगन आया जी गजानंद,

आंगन आया जी,

म्हारा माँ गौरी का लाल,

गजानन्द आँगन आया जी ॥


........................................................................................................
जगत के सर पर जिनका हाथ, वही है अपने भोले नाथ(Jagat Ke Sar Par Jinka Hath Vahi Hai Apne Bholenath)

जगत के सर पर जिनका हाथ,
वही है अपने भोले नाथ,

औघड़ दानी रहा अलख जगा (Oghad Dani Raha Alakh Jaga)

जग में हुआ उजाला,
नाची धरती झूमा अम्बर,

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं (Achyutam Keshavam Krishna Damodaram)

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।

मोरी मैय्या की चूनर उड़ी जाए

धीरे चलो री, पवन धीरे - धीरे चलो री।
धीरे चलो री पुरवइया।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने