मुझे चरणों से लगाले, मेरे श्याम मुरली वाले(Mujhe Charno Se Lagale Mere Shyam Murli Wale)

मुझे चरणों से लगाले,

मेरे श्याम मुरली वाले ।

मेरी स्वास-स्वास में तेरा,

है नाम मुरली वाले ॥


भक्तों की तुमने कान्हा,

विपदा है टारी,

मेरी भी बाह थामो,

आ के बिहारी ।

बिगड़े बनाए तुमने,

हर काम मुरली वाले ॥


मुझे चरणों से लगाले,

मेरे श्याम मुरली वाले ।


पतझड़ है मेरा जीवन,

बन के बहार आजा,

सुन ले पुकार कान्हा,

बस एक बार आजा ।

बैचैन मन के तुम्हीं,

आराम मुरली वाले ॥


मुझे चरणों से लगाले,

मेरे श्याम मुरली वाले ।


तुम हो दया के सागर,

जन्मों की मैं हूँ प्यासी,

दे दो जगह मुझे भी,

चरणों में बस जरा सी ।

सुबह तुम्हीं हो, तुम्हीं ही,

मेरी श्याम मुरली वाले ॥


मुझे चरणों से लगाले,

मेरे श्याम मुरली वाले ।


मुझे चरणों से लगाले,

मेरे श्याम मुरली वाले ।

मेरी स्वास स्वास में तेरा,

है नाम मुरली वाले ॥

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फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद किशोर (Faag Khelan Barasane Aaye Hain Natwar Nand Kishore)

फाग खेलन बरसाने आये हैं,
नटवर नंद किशोर ।

करूँ वंदन हे शिव नंदन (Karu Vandan Hey Shiv Nandan )

करूँ वंदन हे शिव नंदन,
तेरे चरणों की धूल है चन्दन,

सन्तोषी माता/शुक्रवार की ब्रत कथा (Santhoshi Mata / Sukravaar Ki Vrat Katha

एक नगरमें एक बुढ़ियाके सात पुत्र थे, सातौके विवाह होगए, सुन्दर स्त्री घर में सम्पन्न थीं। बड़े बः पुत्र धंधा करते थे बोटा निठल्ला कुछ नहीं करता था और इस ध्यान में मग्न रहता था कि में बिना किए का खाता हूं।

श्री महालक्ष्मी व्रत कथा

(यह व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को आरम्भ करके आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को समापन किया जाता है।)

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