गौरी सूत शंकर लाल (Gauri Sut Shankar Lal)

गौरी सूत शंकर लाल,

विनायक मेरी अरज सुनो,

बैठा भागवत महा पूराण,

विनायक मेरी अरज सुनो,

गौरी सुत शंकर लाल,

विनायक मेरी अरज सुनो ॥


सब देवन मे आप बड़े हो,

तुमको प्रथम मनावे,

घर मे गणपति सदा बिराजे,

कारज शुभ करावे,

संग रिद्धि सिद्धि,

संग रिद्धि सिद्धि आओ आज,

विनायक मेरी अरज सुनो,

गौरी सुत शंकर लाल,

विनायक मेरी अरज सुनो ॥


मेवा फल मोदक और लड्डू,

जिनको भोग लगवे,

सखी सहेली मिल करके

सब मंगल आरती गावे,

देव मिलकर,

देव मिलकर चवर दुलावे,

विनायक मेरी अरज सुनो,

गौरी सुत शंकर लाल,

विनायक मेरी अरज सुनो ॥


ब्रह्मा विष्णु शंकर भी है,

जिनके गुण को गाते,

महिमा का वर्णन तो,

देवी देव मुनि ना पाते,

सब मिलकर,

सब मिलकर शीश झुकावे

विनायक मेरी अरज सुनो,

गौरी सुत शंकर लाल,

विनायक मेरी अरज सुनो ॥


गौरी सूत शंकर लाल,

विनायक मेरी अरज सुनो,

बैठा भागवत महा पूराण,

विनायक मेरी अरज सुनो,

गौरी सूत शंकर लाल,

विनायक मेरी अरज सुनो ॥

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वैशाख शुक्ल पक्ष की मोहिनी नामक एकादशी (Vaishaakh Shukl Paksh Kee Mohinee Naamak Ekaadashee)

भगवान् कृष्ण के मुखरबिन्द से इतनी कथा सुनकर पाण्डुनन्दन महाराज युधिष्ठिर ने उनसे कहा - हे भगवन् ! आपकी अमृतमय वाणी से इस कथा को सुना परन्तु हृदय की जिज्ञासा नष्ट होने के बजाय और भी प्रबल हो गई है।

हमारा प्यारा हिंदुद्वीप (Hamara Pyara Hindudweep)

हमारा प्यारा हिंदुद्वीप, हम हैं इसके प्रहरी और प्रदीप,
अब उठो जगो हे आर्यवीर! उत्ताल प्रचंड समरसिन्धु समीप,

देवों के देव है ये, महादेव कहलाते है (Devon Ke Dev Hai Ye Mahadev Kahlate Hai)

सबको अमृत बांटे,
खुद विष पि जाते है,

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