हे जग स्वामी, अंतर्यामी, तेरे सन्मुख आता हूँ (He Jag Swami Anataryami, Tere Sanmukh Aata Hoon)

हे जग स्वामी, अंतर्यामी,

तेरे सन्मुख आता हूँ ।


सन्मुख आता, मैं शरमाता

भेंट नहीं कुछ लाता हूँ

॥ हे जग स्वामी...॥


पापी जन हूँ, मैं निर्गुण हूँ

द्वार तेरे पर आता हूँ

॥ हे जग स्वामी...॥


मुझ पर प्रभु कृपा कीजे

पापों से पछताता हूँ

॥ हे जग स्वामी...॥


पाप क्षमा कर दीजे मोरे,

मन से ये ही चाहता हूँ

॥ हे जग स्वामी...॥


हे जग स्वामी, अंतर्यामी,

तेरे सन्मुख आता हूँ ।

........................................................................................................
भाद्रपद कृष्ण की अजा एकादशी (Bhaadrapad Krishn Ki Aja Ekaadashi)

युधिष्ठिर ने कहा-हे जनार्दन ! आगे अब आप मुझसे भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम और माहात्म्य का वर्णन करिये।

दुर्गा पूजा पुष्पांजली

प्रथम पुष्पांजली मंत्र
ॐ जयन्ती, मङ्गला, काली, भद्रकाली, कपालिनी ।
दुर्गा, शिवा, क्षमा, धात्री, स्वाहा, स्वधा नमोऽस्तु ते॥
एष सचन्दन गन्ध पुष्प बिल्व पत्राञ्जली ॐ ह्रीं दुर्गायै नमः॥ Pratham Puspanjali Mantra
om jayanti, mangla, kali, bhadrakali, kapalini .
durga, shiva, kshama, dhatri, svahaa, svadha namo̕stu te॥
esh sachandan gandh pusp bilva patranjali om hrim durgaye namah॥

हे शिव शम्भू करुणा सिंधु(Hey Shiv Shambhu Karuna Sindhu)

हे शिव शम्भू करुणा सिंधु
जग के पालनहार,

आजा कलयुग में लेके, अवतार ओ भोले (Aaja Kalyug Me Leke, Avtar O Bhole)

अवतार ओ भोले,
अपने भक्तो की सुनले,

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।