हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ(Hey Raja Ram Teri Aarti Utaru)

हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ,

आरती उतारूँ प्यारे तुमको मनाऊँ,

अवध बिहारी तेरी आरती उतारूँ,

हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ ॥


कनक सिहासन रजत जोड़ी,

दशरथ नंदन जनक किशोरी,

युगल छबि को सदा निहारूँ,

हे राजा राम तेरी आरती उतारूं ॥


बाम भाग शोभित जग जननी,

चरण बिराजत है सुत अंजनी,

उन चरणों को सदा पखारू,

हे राजा राम तेरी आरती उतारूं ॥


आरती हनुमत के मन भाए,

राम कथा नित शिव जी गाए,

राम कथा हृदय में उतारू,

हे राजा राम तेरी आरती उतारूं ॥


चरणों से निकली गंगा प्यारी,

वंदन करती दुनिया सारी,

उन चरणों में शीश नवाऊँ,

हे राजा राम तेरी आरती उतारूं ॥


हे राजा राम तेरी आरती उतारूं,

आरती उतारूँ प्यारे तुमको मनाऊँ,

अवध बिहारी तेरी आरती उतारूँ,

हे राजा राम तेरी आरती उतारूं ॥

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कहियो दर्शन दीन्हे हो, भीलनियों के राम (Kahiyo Darshan Dinhe Ho Bhilaniyo Ke Ram)

पंथ निहारत, डगर बहारथ,
होता सुबह से शाम,

कुंभ संक्रांति के दिन दान

हिंदू धर्म में, सूर्य देव के राशि परिवर्तन को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य जब दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं, तब इसे संक्रांति कहा जाता है। दरअसल, सूर्य जिस राशि में प्रवेश कर सकते हैं, उस दिन को उसी राशि के संक्रांति के नाम से जाना जाता है।

पौष माह में क्या करें और क्या नहीं

हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह साल का 10 वां, महीना होता है जो मार्गशीर्ष पूर्णिमा के बाद शुरू होता है। वैदिक पंचाग के अनुसार इस साल पौष माह 16 दिसंबर से प्रारंभ हो चुकी है।

माघ गुप्त नवरात्रि कवच पाठ

हिंदू धर्म में नवरात्रि का त्योहार देवी माँ के विभिन्न रूपों की पूजा करने हेतु मनाया जाता है। यहां, नवरात्रि शब्द में 'नव' का अर्थ नौ और 'रात्रि' का अर्थ है रातें। इन नौ रातों में देवी मां के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। हालांकि, 4 नवरात्रियों में से एक माघी नवरात्रि गृहस्थ लोगों के लिए नहीं होती है।

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