हे त्रिपुरारी गंगाधरी(Hey Tripurari Gangadhari)

हे त्रिपुरारी गंगाधरी,

सृष्टि के आधार,

शंकर किरपा करुणाकार,

भोले किरपा करुणाकार ॥


शिव शंकर है नाम तिहारा,

चंद्रशेखर शिव अगहारा,

दानी महादानी शिव शंकर,

दानी महादानी शिव शंकर,

करते बेड़ा पार,

शंकर किरपा करुणाकार,

भोले किरपा करुणाकार ॥


गौरा जी के प्राण प्यारे,

कार्तिक गणपत आँख के तारे,

त्रिपुंड धारी है नटराजा,

पहने सर्प हार,

शंकर किरपा करुणाकार,

भोले किरपा करुणाकार ॥


नीलकंठ जय भीमाशंकर,

महाकाल जय जय अभ्यंकर,

मृगछाला और भस्मी धारी,

जय जय डमरू धार,

शंकर किरपा करुणाकार,

भोले किरपा करुणाकार ॥


हे त्रिपुरारी गंगाधरी,

सृष्टि के आधार,

शंकर किरपा करुणाकार,

भोले किरपा करुणाकार ॥

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एक नज़र बस एक नज़र, हम पे मोहन वार दे(Ek Nazar Bas Ek Nazar Hum Pe Bhi Mohan Vaar De)

एक नज़र बस एक नज़र,
हम पे मोहन वार दे,

आ दरश दिखा दे मेरी माँ (Aa Darsh Dikha De Meri Maa)

आ दरश दिखा दे मेरी माँ,
तुझे तेरे लाल बुलाते है,

सजधज कर जिस दिन, मौत की शहजादी आएगी (Saj Dhaj Kar Jis Din Maut Ki Sahjadi Aayegi)

सजधज कर जिस दिन,
मौत की शहजादी आएगी,

रुक्मिणी अष्टमी के दिन करें ये उपाय

पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है। जो इस साल 22 दिसंबर को मनाया जा रहा है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की पहली पत्नी देवी रुक्मिणी के जन्म की याद में मनाया जाता है।

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