जबसे बरसाने में आई, मैं बड़ी मस्ती में हूँ(Jab Se Barsane Me Aayi Main Badi Masti Me Hun)

जबसे बरसाने में आई,

मैं बड़ी मस्ती में हूँ,

मैं बड़ी मस्ती में श्यामा,

मैं बड़ी मस्ती में श्यामा,

मैं बड़ी मस्ती में प्यारे,

मैं बड़ी मस्ती में प्यारे,

जब से तुम संग लौ लगाई,

मैं बड़ी मस्ती में हूँ॥


छा गई आँखों में दिल में,

बस तेरी दीवानगी, ॥छा गई आँखों...

तू ही तू बस दे दिखाई,

मैं बड़ी मस्ती में हूँ, ॥तू ही तू ...

मैं बड़ी मस्ती में श्यामा,

जब से तुम संग लो लगाई,

मैं बड़ी मस्ती में हूँ॥

॥ जबसे बरसाने में आई...॥


ना तमन्ना दौलतों की,

शोहरतों की लाड़ली, ॥ना तमन्ना...

नाम की करके कमाई,

मैं बड़ी मस्ती में हूँ, ॥नाम की...

मैं बड़ी मस्ती में श्यामा,

जब से तुम संग लो लगाई,

मैं बड़ी मस्ती में हूँ॥

॥ जबसे बरसाने में आई...॥


बांकी चितवन सांवरी,

मन मोहनी सूरत तेरी, ॥बांकी चितवन...

जबसे है दिल में समाई,

मैं बड़ी मस्ती में हूँ, ॥जबसे है...

मैं बड़ी मस्ती में श्यामा,

जब से तुम संग लो लगाई,

मैं बड़ी मस्ती में हूँ॥

॥ जबसे बरसाने में आई...॥


जबसे बरसाने में आई,

मैं बड़ी मस्ती में हूँ,

मैं बड़ी मस्ती में श्यामा,

मैं बड़ी मस्ती में श्यामा,

मैं बड़ी मस्ती में प्यारे,

मैं बड़ी मस्ती में प्यारे,

जब से तुम संग लौ लगाई,

मैं बड़ी मस्ती में हूँ॥

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कार्तिक पूर्णिमा: पूजा विधि

भारत में कार्तिक पूर्णिमा एक प्रमुख पर्व के रूप में मनाई जाती है। इस दिन लोग बड़ी संख्या में गंगा तट पर पहुंचकर स्नान करते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

जगन्नाथ भगवान की पूजा कैसे करें?

जगन्नाथ यानी कि जगत के स्वामी या संसार के प्रभु। यह उनके ब्रह्म रूप और संसार के पालनहार के रूप को दर्शाता है। भगवान जगन्नाथ की पूजा विशेष रूप से "रथ यात्रा" के दौरान होती है, जो एक प्रसिद्ध हिन्दू त्योहार है। यह यात्रा पुरी में आयोजित होती है और हर साल लाखों श्रद्धालु इसमें भाग लेते हैं।

नवंबर में इस दिन रखा जाएगा प्रदोष व्रत

प्रदोष व्रत एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भक्त भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं और उनके निमित्त प्रदोष व्रत रखते हैं।

एकादशी पूजन विधि (Ekadashi Poojan Vidhi )

एकादशी पूजन में विशेष तौर से भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है इस दिन पवित्र नदी या तालाब या कुआं में स्नान करके व्रत को धारण करना चाहिए

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