जगदम्बे भवानी माँ, तुम कुलदेवी मेरी(Jagdambe Bhawani Maa Tum Kuldevi Meri)

जगदम्बे भवानी माँ,

तुम कुलदेवी मेरी,

मैं तुम्हें मनाऊं माँ,

करो भूल माफ़ मेरी ॥


जन्मों जन्मों से मां,

तेरा मेरा बन्धन,

जो कुछ भी पास मेरे,

करूं तुम को मैं अर्पन,

कर जोड़ करूं विनति,

मैंने सदा तू ही टेरी,

मैं तुम्हें मनाऊं माँ,

करो भूल माफ़ मेरी ॥


अंनजान जमाने में,

तुझ बिन है कोन मेरा,

कर दया की दृष्टि मां,

मैं चाहूं प्यार तेरा,

करूणा मय कल्याणी,

ना करना अब देरी,

मैं तुम्हें मनाऊं माँ,

करो भूल माफ़ मेरी ॥


मेरी चाहत छोटी सी,

तेरा दर्शन मैं पाऊं,

एक नज़र महर की हो,

ना ज्यादा कुछ चाहूं,

तुम हाथ रखो सर पे,

रहे दुर सदा बेरी,

मैं तुम्हें मनाऊं माँ,

करो भूल माफ़ मेरी ॥


मेरे इस जीवन की,

डोरी तेरे हाथों में,

सुरेन्द्र सिंह के मां तुम,

आती रहो ख्वाबों में,

तुम सदा बसों मन में,

रहो रसना पे ठहरी,

मैं तुम्हें मनाऊं माँ,

करो भूल माफ़ मेरी ॥


जगदम्बे भवानी माँ,

तुम कुलदेवी मेरी,

मैं तुम्हें मनाऊं माँ,

करो भूल माफ़ मेरी ॥

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सोमवती अमावस्या व्रत कथा

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