जिसने भी माँ की चौखट पे, सर को झुका लिया: भजन (Jisne Bhi Maa Ki Chaukhat Pe Sar Ko Jhuka Liya)

जिसने भी माँ की चौखट पे,

सर को झुका लिया,

करके दया भवानी ने,

बाहों में उठा लिया,

करके दया भवानी ने,

बाहों में उठा लिया ॥


कैला करोली वाली माँ,

ममता की खान है,

ममता की खान है,

मैया के दर पे झुक रहा,

सारा जहान है,

सारा जहान है,

जिसने भी झोली फैलाई,

उसने ही पा लिया,

करके दया भवानी ने,

बाहों में उठा लिया ॥


नौ निद्ध अष्ट सिद्ध की,

दाता दयाली है,

दाता दयाली है,

ये ही है दुर्गा चामुंडा,

ये ही काली है,

ये ही काली है,

रोता गया जो द्वार पर,

उसको हँसा दिया,

करके दया भवानी ने,

बाहों में उठा लिया ॥


कलयुग में कैला मैया का,

डंका है चारों ओर,

डंका है चारों ओर,

चरणों का बन जा ‘बावरा’,

होगी कृपा की कौर,

होगी कृपा की कौर,

‘चोखानी’ ने भी भजनो से,

माँ को रिझा लिया,

करके दया भवानी ने,

बाहों में उठा लिया ॥


जिसने भी माँ की चौखट पे,

सर को झुका लिया,

करके दया भवानी ने,

बाहों में उठा लिया,

करके दया भवानी ने,

बाहों में उठा लिया ॥

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मैं कितना अधम हूँ, ये तुम ही जानो (Main Kitna Adham Hu Ye Tum Hi Jano)

मैं कितना अधम हूँ,
ये तुम ही जानो,

हमारा नहीं कोई रे तेरे बिना राम(Humara Nahi Koi Re Tere Bina Ram)

हमारा नहीं कोई रे तेरे बिना राम
हमारा नहीं कोई रे तेरे बिना राम

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का मुहूर्त

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा का विधान है। इसी लिए विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता गणेश जी को समर्पित गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि का बनी रहती है।

आओ मेरी सखियो मुझे मेहँदी लगा दो (Aao Meri Sakhiyo Mujhe Mehandi Laga Do)

ऐसे वर को क्या वरु,
जो जनमे और मर जाये,

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