कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे (Kabhi Fursat Ho To Jagdambe)

कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे,

निर्धन के घर भी आ जाना ।

जो रूखा सूखा दिया हमें,

कभी उस का भोग लगा जाना ॥


ना छत्र बना सका सोने का,

ना चुनरी घर मेरे टारों जड़ी ।

ना पेडे बर्फी मेवा है माँ,

बस श्रद्धा है नैन बिछाए खड़े ॥

इस श्रद्धा की रख लो लाज हे माँ,

इस विनती को ना ठुकरा जाना ।

जो रूखा सूखा दिया हमें,

कभी उस का भोग लगा जाना ॥


कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे,

निर्धन के घर भी आ जाना ।


जिस घर के दिए मे तेल नहीं,

वहां जोत जगाओं कैसे ।

मेरा खुद ही बिछौना डरती माँ,

तेरी चोंकी लगाऊं मै कैसे ॥

जहाँ मै बैठा वही बैठ के माँ,

बच्चों का दिल बहला जाना ।

जो रूखा सूखा दिया हमें,

कभी उस का भोग लगा जाना ॥


कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे,

निर्धन के घर भी आ जाना ।


तू भाग्य बनाने वाली है,

माँ मै तकदीर का मारा हूँ ।

हे दाती संभाल भिकारी को,

आखिर तेरी आँख का तारा हूँ ॥

मै दोषी तू निर्दोष है माँ,

मेरे दोषों को तूं भुला जाना ।

जो रूखा सूखा दिया हमें,

कभी उस का भोग लगा जाना ॥


कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे,

निर्धन के घर भी आ जाना ।

जो रूखा सूखा दिया हमें,

कभी उस का भोग लगा जाना ॥

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आदि अंत मेरा है राम (Aadi Ant Mera Hai Ram)

आदि अंत मेरा है राम,
उन बिन और सकल बेकाम ॥

पौष पूर्णिमा 2025

सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा- अर्चना करने का विधान है। इस दिन से प्रयागराज में कल्पवास शुरू किया जाता है, इस दिन व्रत, स्नान दान करने से मां लक्ष्मी और विष्णु जी बेहद प्रसन्न होते हैं।

मैं तो शिव की पुजारन बनूँगी (Main To Shiv Ki Pujaran Banugi)

मैं तो शिव की पुजारन बनूँगी,
अपने भोले की जोगन बनूँगी,

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