नाकोड़ा के भैरव तुमको आना होगा(Nakoda Ke Bhairav Tumko Aana Hoga)

नाकोड़ा के भैरव तुमको आना होगा,

डम डम डमरू बजाना होगा ।

हम भक्तों को दरश दिखाना होगा,

नाकोड़ा के भैरव तुमको आना होगा ॥


तेरे दर पे भैरव मेरे, सब मिल आते हैं,

तेरे दर पे दादा मेरे, सब मिल आते हैं,

भक्ति के गीतों से तुमको रिझाते हैं,

झूम झूम तुमको भी गाना होगा,

डम डम डमरू बजाना होगा,

नाकोड़ा के भैरव तुमको आना होगा,

डम डम डमरू बजाना होगा..


मेरे इस जीवन मे भैरव, छाया अंधियारा हैं,

मेरे इस जीवन मे दादा, छाया अंधियारा हैं,

सारी दुनिया छोड़ के आए, तु ही सबसे प्यारा हैं,

जीवन से दुःख को हटाना होगा,

डम डम डमरू बजाना होगा,

नाकोड़ा के भैरव तुमको आना होगा,

डम डम डमरू बजाना होगा..


सब भक्तों को मेरे दादा, तेरा ही सहारा हैं,

सब भक्तों को मेरे दादा, तेरा ही सहारा हैं,

भवंरो में डोले नैय्या, मिलता ना किनारा हैं,

नैय्या को भव से पार लगाना होगा,

डम डम डमरू बजाना होगा,

नाकोड़ा के भैरव तुमको आना होगा,

डम डम डमरू बजाना होगा..


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सामा-चकेवा और मुढ़ी-बतासे

सामा-चकेवा मिथिलांचल में भाई-बहन के प्रेम और अपनत्व का प्रतीक है। यह पर्व कार्तिक शुक्ल सप्तमी से कार्तिक पूर्णिमा तक नौ दिन चलता है।

घुमतड़ा घर आवो, ओ म्हारा प्यारा गजानन (Ghumta Ghar Aao Mhara Pyara Gajanan)

घुमतड़ा घर आवो,
ओ म्हारा प्यारा गजानन,

मन फूला फूला फिरे जगत में(Mann Fula Fula Phire Jagat Mein)

मन फूला फूला फिरे,
जगत में कैसा नाता रे ॥

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