किसलिए आस छोड़े कभी ना कभी (Kisliye Aas Chhauden Kabhi Na Kabhi)

किस लिए आस छोड़े कभी ना कभी,

क्षण विरह के मिलन में बदल जाएंगे ।

नाथ कब तक रहेंगे कड़े एक दिन,

देखकर प्रेम आंसू पिघल जाएंगे ॥

॥ किस लिए आंस छोड़ें..॥


सबरी केवट जटायु अहिल्याजी के,

पास पहुंचे स्वयं छोड़कर के अवध ।

ये हैं घटनाएं सच तो भरोसा हमें,

खुद-ब-खुद आप आकर के मिल जाएंगे ॥

॥ किस लिए आंस छोड़ें..॥


दर्श देने को रघुवर जी आएंगे जब,

हम ना मानेंगे अपनी चलाये बिना ।

जाने देंगे ना वापिस किसी शर्त पर,

बस कमल पद पकड़कर मचल जाएंगे ॥

॥ किस लिए आंस छोड़ें..॥


फिर सुनाएंगे खोटी-खरी आपको,

और पूछेंगे देरी लगाई कहां?

फिर निवेदन करेंगे न छोड़ो हमें,

प्रभु की जूठन प्रसादी पे पल जाएंगे ॥

॥ किस लिए आंस छोड़ें..॥


स्वप्न साकार होगा तभी राम जी,

"जन" पे हो जाए थोड़ी कृपा आपकी ।

पूर्ण कर दो मनोरथ यह "राजेश" का,

जाने कब प्राण तन से निकल जाएंगे ॥


किसलिए आस छोड़ें, कभी ना कभी,

क्षण विरह के मिलन में बदल जाएंगे॥

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शंकर तेरी जटा से बहती है गंग धारा (Shankar Teri Jata Se Behti Hai Gang Dhara)

शंकर तेरी जटा से,
बहती है गंग धारा

जया एकादशी व्रत नियम

प्रत्येक महीने में एकादशी दो बार आती है—एक बार कृष्ण पक्ष में और दूसरी बार शुक्ल पक्ष में। कृष्ण पक्ष की एकादशी पूर्णिमा के बाद आती है, जबकि शुक्ल पक्ष की एकादशी अमावस्या के बाद आती है।

शनिवार को कष्ट कटे, मंगल हो मंगलवार(Saniwar Ko Kasht Kate Mangal Ho Mangalwar)

आ जाओ और किरपा पा लो,
हफ्ते में दो बार,

भूमिपूजन कैसे करें?

हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की कृपा के बिना कोई भी शुभ काम सफल नहीं होता है इसलिए, घर बनाने से पहले भूमि पूजन करना बहुत जरूरी है। इस अनुष्ठान से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सुख-शांति आती है।

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