कितना रोई पार्वती, शिवनाथ के लिए (Kitna Roi Parvati Shivnath Ke Liye)

कितना रोई पार्वती,

शिवनाथ के लिए,

मैं तो प्राण भी तज दूंगी,

भोलेनाथ के लिए,

सबने कितना समझाया,

पर ना मानी महामाया ॥


जबसे हाँ जनम लिया था,

शिव को था अपना माना,

शिव का ही वरण करूँगी,

मन में था ये ही ठाना,

मैं कुछ भी कर दूंगी,

शिव के साथ के लिए,

मैं कुछ भी कर दूंगी,

शिव के साथ के लिए,

मैं तो प्राण भी तज दूंगी,

भोलेनाथ के लिए,

सबने कितना समझाया,

पर ना मानी महामाया ॥


वो औघड़ है वो योगी,

हिमाचल ने समझाया,

बड़ा तू दुख सहेगी,

मैना माँ ने बतलाया,

एक ना मानी फिर भी,

शिव के हाथ के लिए,

एक ना मानी फिर भी,

शिव के हाथ के लिए,

मैं तो प्राण भी तज दूंगी,

भोलेनाथ के लिए,

सबने कितना समझाया,

पर ना मानी महामाया ॥


सप्त ऋषियो ने आकर,

भी गौरा को समझाया,

पिए वो भंग धतूरा,

नाग को गले बिठाया,

और भी जागी श्रद्धा,

कृपा नाथ के लिए,

और भी जागी श्रद्धा,

कृपा नाथ के लिए,

मैं तो प्राण भी तज दूंगी,

भोलेनाथ के लिए,

सबने कितना समझाया,

पर ना मानी महामाया ॥


कितना रोई पार्वती,

शिवनाथ के लिए,

मैं तो प्राण भी तज दूंगी,

भोलेनाथ के लिए,

सबने कितना समझाया,

पर ना मानी महामाया ॥

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वृन्दावन हम चलेंगे राधे राधे गाते गाते (Vrindavan Hum Chalenge Radhey Radhey Gaate Gaate)

वृन्दावन हम चलेंगे राधे राधे गाते गाते,
वृन्दावन हम चलेंगे राधे राधें गाते गाते,

आमलकी एकादशी पूजा विधि

फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी पर आमलकी एकादशी का व्रत किया जाता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवले के पेड़ की पूजा का भी विशेष महत्व है।

जिस काँधे कावड़ लाऊँ, मैं आपके लिए(Jis Kandhe Kawad Laun Main Aapke Liye)

जिस काँधे कावड़ लाऊँ,
मैं आपके लिए,

मेरो कान्हा गुलाब को फूल (Mero Kanha Gulab Ko Phool)

मेरो कान्हा गुलाब को फूल,
किशोरी मेरी कुसुम कली ॥

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