कितना रोई पार्वती, शिवनाथ के लिए (Kitna Roi Parvati Shivnath Ke Liye)

कितना रोई पार्वती,

शिवनाथ के लिए,

मैं तो प्राण भी तज दूंगी,

भोलेनाथ के लिए,

सबने कितना समझाया,

पर ना मानी महामाया ॥


जबसे हाँ जनम लिया था,

शिव को था अपना माना,

शिव का ही वरण करूँगी,

मन में था ये ही ठाना,

मैं कुछ भी कर दूंगी,

शिव के साथ के लिए,

मैं कुछ भी कर दूंगी,

शिव के साथ के लिए,

मैं तो प्राण भी तज दूंगी,

भोलेनाथ के लिए,

सबने कितना समझाया,

पर ना मानी महामाया ॥


वो औघड़ है वो योगी,

हिमाचल ने समझाया,

बड़ा तू दुख सहेगी,

मैना माँ ने बतलाया,

एक ना मानी फिर भी,

शिव के हाथ के लिए,

एक ना मानी फिर भी,

शिव के हाथ के लिए,

मैं तो प्राण भी तज दूंगी,

भोलेनाथ के लिए,

सबने कितना समझाया,

पर ना मानी महामाया ॥


सप्त ऋषियो ने आकर,

भी गौरा को समझाया,

पिए वो भंग धतूरा,

नाग को गले बिठाया,

और भी जागी श्रद्धा,

कृपा नाथ के लिए,

और भी जागी श्रद्धा,

कृपा नाथ के लिए,

मैं तो प्राण भी तज दूंगी,

भोलेनाथ के लिए,

सबने कितना समझाया,

पर ना मानी महामाया ॥


कितना रोई पार्वती,

शिवनाथ के लिए,

मैं तो प्राण भी तज दूंगी,

भोलेनाथ के लिए,

सबने कितना समझाया,

पर ना मानी महामाया ॥

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श्री राम धुन में मन तू (Sri Ram Dhun Mein Mann Tu)

श्री राम धुन में मन तू,
जब तक मगन ना होगा,

दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी (Darshan Do Ghansyam Nath Mori Akhiyan Pyasi Re)

दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी,
अँखियाँ प्यासी रे ।

तूने जीना सिखाया भोलेनाथ जी (Tune Jeena Sikhaya Bholenath Ji)

तुम्हे दिल में बसाया,
तुम्हे अपना बनाया,

चक्रधर भगवान की पूजा कैसे करें?

भगवान चक्रधर 12वीं शताब्दी के एक महान तत्त्वज्ञ, समाज सुधारक और महानुभाव पंथ के संस्थापक थे। महानुभाव धर्मानुयायी उन्हें ईश्वर का अवतार मानते हैं। उनका जन्म बारहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में, गुजरात के भड़ोच में हुआ था। उनका जन्म नाम हरीपालदेव था।

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