लाल ध्वजा लहराये रे, मैया तोरी ऊंची पहड़ियान (Lal Dhwaja Lahraye Re Maiya Teri Unchi Pahadiya)

लाल ध्वजा लहराये रे,

मैया तोरी ऊंची पहड़िया ॥


लोंग इलायची के बीड़ा लगाए,

चम्पा चमेली के हार बनाये,

लाल अनार चड़ाए रे,

मैया तोरी ऊंची पहड़िया ॥


लाल गुलाल से लाल भये है,

लाल तुम्हारे निहाल भये है,

मैया के रंग रंग आये रे,

मैया तोरी ऊंची पहड़िया ॥


‘पदम्’ सुमर मैया तोरे जस गाये,

चरणों मे तोरे शीश झुकाये,

गीत सुमन बरसाए रे,

मैया तोरी ऊंची पहड़िया ॥


लाल ध्वजा लहराये रे,

मैया तोरी ऊंची पहड़िया ॥

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जो राम का नहीं, किसी काम का नहीं (Jo Ram Ka Nahi Kisi Kaam Ki Nahi)

वो नमस्ते दुआ और,
सलाम का नहीं,

ऊँचे पर्वत चढ़कर जो, तेरे मंदिर आते हैं (Unche Parvat Chadhkar Jo Tere Mandir Aate Hain)

ऊँचे पर्वत चढ़कर जो,
तेरे मंदिर आते हैं,

दुर्गा माता कथा

एक समय बृहस्पति जी ब्रह्माजी से बोले- हे ब्रह्मन श्रेष्ठ! चौत्र व आश्विन मास के शुक्लपक्ष में नवरात्र का व्रत और उत्सव क्यों किया जाता है?

देखो शिव की बारात चली है (Dekho Shiv Ki Barat Chali Hai)

देखो शिव की बारात चली है,
भोले शिव की बारात चली है,

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