माँ हो तो ऐसी हो ऐसी हो(Maa Ho To Aisi Ho Aisi Ho)

हाँ माँ हो तो ऐसी हो ऐसी हो

ऐसी हो काली मैय्यां तेरे जैसी हो

हाँ माँ हो तो ऐसी हो ऐसी हो

अरे ऐसी हो काली मैय्यां तेरे जैसी हो

महाकाली मैय्यां तेरे जैसी हो

महाकाली मैय्यां तेरे जैसी हो

अद्भुत हैं रूप तेरा शक्ति अपार

परिहार भ्र्म भी पाए न पार

सुनले पुकार मेरी नैय्यान मजधार

कर बेडा पार तेरा बड़ा उपकार


हाँ अद्भुत हैं रूप तेरा शक्ति अपार

परिहार भ्र्म भी पाए न पार

सुनले पुकार मेरी नैय्यान मजधार

कर बेडा पार तेरा बड़ा उपकार

सूरत हैं न्यारी सबसे तू प्यारी

जाए हम वारि तेरी बलिहारी

रक्त बालहरिणी रक्त पुश धारिणी

कष्ठ-निवारिणी मंगल कारिणी


माँ हो तो ऐसी हो ऐसी हो

ऐसी हो काली मैय्यां तेरे जैसी हो

हाँ माँ हो तो ऐसी हो ऐसी हो

ऐसी हो काली मैय्यां तेरे जैसी हो

महाकाली मैय्यां तेरे जैसी हो

महाकाली मैय्यां तेरे जैसी हो


चरणों में तेरे माँ दे दे शरण

दर्शन के प्यासे हैं ये दो नयन

गाये भजन करे तेरा सुमिरन

करे दिन रात माइयाँ तेरा किर्तन


हाँ चरणों में तेरे माँ दे दे शरण

दर्शन के प्यासे हैं ये दो नयन

गाये भजन करे तेरा सुमिरन

करे दिन रात माइयाँ तेरा किर्तन

मन्नत सभी की पूरी तू करती

आये तेरे द्वार जो भी नर नारी

माइयाँ तू दयालु है माइयाँ तू कृपाली है

तू हैं दुःख हरनी तू सुख करनी


माँ हो तो ऐसी हो ऐसी हो

अरे ऐसी हो काली मैय्यां तेरे जैसी हो

हाँ माँ हो तो ऐसी हो ऐसी हो

ऐसी हो काली मैय्यां तेरे जैसी हो

महाकाली मैय्यां तेरे जैसी हो

महाकाली मैय्यां तेरे जैसी हो

महाकाली मैय्यां तेरे जैसी हो

महाकाली मैय्यां तेरे जैसी हो

........................................................................................................
जो विधि कर्म में लिखे विधाता (Jo Vidhi Karam Me Likha Vidhata)

जो विधि कर्म में लिखे विधाता,
मिटाने वाला कोई नहीं,

भूमिपूजन कैसे करें?

हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की कृपा के बिना कोई भी शुभ काम सफल नहीं होता है इसलिए, घर बनाने से पहले भूमि पूजन करना बहुत जरूरी है। इस अनुष्ठान से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सुख-शांति आती है।

प्रदोष व्रत की कथा (Pradosh Vrat Ki Katha )

प्राचीनकाल में एक गरीब पुजारी हुआ करता था। उस पुजारी की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी अपने भरण-पोषण के लिए पुत्र को साथ लेकर भीख मांगती हुई शाम तक घर वापस आती थी।

सात्विक नियम पढ़ने के नियम क्या हैं

सात्विक मंत्र साधना में शुद्धि, शांति, और उन्नति का विशेष महत्व है। इसका उद्देश्य भौतिक इच्छाओं से मुक्त होकर ईश्वर की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने