मगन ईश्वर की भक्ति में (Magan Ishwar Ki Bhakti Me Are Mann Kiyon Nahin Hota)

मगन ईश्वर की भक्ति में,

अरे मन क्यों नहीं होता।

पड़ा आलस्य में मुर्ख,

रहेगा कब तलक सोता॥


जो इच्छा है तेरे कट जाएं,

सारे मैल पापों के।

प्रभु के प्रेम जल से,

क्यों नहीं अपने को तू धोता॥


विषय और भोग में फंस कर,

न बर्बाद कर तू अपने जीवन को।

दमन कर चित्त की वृत्ति,

लगा ले योग में गोता॥


नहीं संसार की वास्तु,

कोई भी सुख की हेतु है।

व्यथा इनके लिए फिर क्यों,

समय अनमोल तू खोता॥


ना पत्नी काम आएगी,

ना भाई-पुत्र और पोता।

धर्म ही एक ऐसा है,

जो साथी अंत तक होगा॥


भटकता क्यों फिरे नाहक,

तू सुख के लिए मूर्ख।

तेरे ह्रदय के भीतर ही बहे,

आनंद का श्रोता॥


मगन ईश्वर की भक्ति में,

अरे मन क्यों नहीं होता।

पड़ा आलस्य में मुर्ख,

रहेगा कब तलक सोता॥


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मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी कब है?

हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि, रिद्धि-सिद्धि का देवता माना जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा और व्रत किया जाता है।

राम से बड़ा राम का नाम, जो सुमिरे भव पार हो जाए (Ram Se Bada Ram Ka Naam Jo Sumire Bhav Paar Ho Jaye)

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विनायक चतुर्थी कब है

विनायक चतुर्थी भगवान गणेश जी को समर्पित है। यह प्रत्येक महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सभी दुखों का नाश होता है।

तुम्हारी याद आती है, बताओ क्या करें मोहन(Tumhari Yaad Aati Hai Batao Kya Karen Mohan)

तुम्हारी याद आती है,
बताओ क्या करें मोहन,

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