महाकाल की नगरी मेरे मन को भा गई (Mahakal Ki Nagri Mere Maan Ko Bha Gayi)

मेरे भोले की सवारी आज आयी,

मेरे शंकर की सवारी आज आयी,

जोगन बन नाचूंगी मैं भी,

जोगन बन नाचूंगी ॥


गले में उसके सर्पो की माला,

शम्भू पीते विष का प्याला,

सुन्दर रूप है उसका निराला,

बाबा मेरा भोला भाला,

तेरा नाम जपे दुनिया सारी,

जोगन बन नाचूंगी मैं भी,

जोगन बन नाचूंगी ॥


जटा गंग भंग पि के आए,

गौरा मैया के मन हर्षाये,

अक धतूरा जो भोग लगाए,

उसकी नैया पार लगाए,

भोला कहलाता है विषधारी,

जोगन बन नाचूंगी मैं भी,

जोगन बन नाचूंगी ॥


अंग पे अपने भस्म रमाए,

डम डम डम डम डमरू बजाए,

औघड़दानी रूप धरा है,

‘ब्रजवासी’ तेरी महिमा गाए,

शिव नाम के है सारे पुजारी,

जोगन बन नाचूंगी मैं भी,

जोगन बन नाचूंगी ॥


मेरे भोले की सवारी आज आयी,

मेरे शंकर की सवारी आज आयी,

जोगन बन नाचूंगी मैं भी,

जोगन बन नाचूंगी ॥

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बाबा मुझे दर्शन दें महाकाल (Baba Mujhe Darshan De Mahakal)

मैं आया उज्जैन महाकाल,
बाबा मुझे दर्शन दे,

रथ सप्तमी व्रत के शुभ मुहूर्त

माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रखा जाने वाला रथ सप्तमी व्रत इस साल 4 फरवरी को है। यह व्रत प्रमुख रूप से सूर्य देव को समर्पित है। रथ सप्तमी को अचला सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है।

राम कहने से तर जाएगा (Ram Kahne Se Tar Jayega Par Bhav Se Utar Jayega)

राम कहने से तर जाएगा,
पार भव से उतर जायेगा।

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