मै तो लाई हूँ दाने अनार के (Main To Layi Hu Daane Anaar Ke)

मैं तो लाई हूँ दाने अनार के,

मेरी मैया के नौ दिन बहार के ॥


टैंट वाले तेरा क्या जाएगा-३,

मेरी मैया का पंडाल बन जाएगा,

मै तो लाई हूँ दाने अनार के,

मेरी मैया के नौ दिन बहार के ॥


बिजली वाले तेरा क्या जाएगा-३,

मेरी मैया का भवन जग मगाएगा,

मै तो लाई हूँ दाने अनार के,

मेरी मैया के नौ दिन बहार के ॥


हलवाई तेरा क्या जाएगा-३,

मेरी मैया का प्रसाद बन जाएगा,

मै तो लाई हूँ दाने अनार के,

मेरी मैया के नौ दिन बहार के ॥


ढोल वाले तेरा क्या जाएगा-३,

मेरी मैया का भजन बन जाएगा,

मै तो लाई हूँ दाने अनार के,

मेरी मैया के नौ दिन बहार के ॥


फूल वाले तेरा क्या जाएगा-३,

मेरी मैया का हार बन जाएगा,

मै तो लाई हूँ दाने अनार के,

मेरी मैया के नौ दिन बहार के ॥


मै तो लाई हूँ दाने अनार के,

मेरी मैया के नौ दिन बहार के,

मेरी मैया के नौ दिन बहार के ॥

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गणगौर व्रत की पौराणिक कथा

गणगौर व्रत चैत्र शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है, जिसे गौरी तृतीया के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत का विशेष महत्व विवाहित और अविवाहित महिलाओं के लिए होता है।

कीर्तन है वीर बजरंग का(Kirtan Hai Veer Bajrang Ka)

कीर्तन है वीर बजरंग का,
नच नच कर इनको मना,

वीर हनुमाना राम का दीवाना (Veer Hanumana Ram Ka Diwana)

छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना, वीर हनुमाना राम का दीवाना,

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