मरना है तो एक बार मरो (Marna Hai Too Ek Bar Maro)

मरना है तो एक बार मरो,

फिर चौरासी में पड़ना क्या,

हर बार का मरना मरना क्या,

हर बार का मरना मरना क्या ॥


करके भजन मन निर्मल करलो,

ध्यान प्रभु का हर पल करलो,

भीतर के जब मेल ना धोए,

भीतर के जब मेल ना धोए,

बाहर रूप संवरना क्या,

हर बार का मरना मरना क्या,

हर बार का मरना मरना क्या ॥


भला बुरा का ज्ञान रहेगा,

परमेश्वर फिर साथ रहेगा,

जब रघुनाथ का हाथ हो सर पे,

जब रघुनाथ का हाथ हो सर पे,

फिर है किसी से डरना क्या,

हर बार का मरना मरना क्या,

हर बार का मरना मरना क्या ॥


कटु वचन भी सहना पड़ेगा,

राह कठिन है चलना पड़ेगा,

श्याम प्रेम में पागल हुआ तो,

श्याम प्रेम में पागल हुआ तो,

फिर पापों से डरना क्या,

हर बार का मरना मरना क्या,

हर बार का मरना मरना क्या ॥


नेक कर्म बिन जनम बिताना,

उसका भी जीना है क्या जीना,

भक्ति के मोती चुन ना सके फणि,

भक्ति के मोती चुन ना सके फणि,

ख़ाक से झोली भरना क्या,

हर बार का मरना मरना क्या,

हर बार का मरना मरना क्या ॥


मरना है तो एक बार मरो,

फिर चौरासी में पड़ना क्या,

हर बार का मरना मरना क्या,

हर बार का मरना मरना क्या ॥

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गुप्त नवरात्रि पर राशि के अनुसार उपाय

सनातन धर्म में साल में आने वाली चारों नवरात्रि का बहुत खास महत्व है। हर साल चार बार नवरात्रि आती है, जिनमें से माघ गुप्त नवरात्रि भी शामिल हैं।

षटतिला एकादशी पूजा विधि

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जगदीश ज्ञान दाता(Jagadish Gyan Data: Prarthana)

जगदीश ज्ञान दाता, सुख मूल शोकहारी
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लेके पूजा की थाली

लेके पूजा की थाली, ज्योत मन की जगा ली
तेरी आरती उतारूँ, भोली माँ
तू जो दे-दे सहारा, सुख जीवन का सारा
तेरे चरणों पे वारूँ, भोली माँ

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