मेरे पवनपुत्र हनुमान, करूं मैं तेरा हर पल ध्यान (Mere Pawanputra Hanuman Karu Main Tera Har Pal Dhyan)

मेरे पवनपुत्र हनुमान,

करूं मैं तेरा हर पल ध्यान,

नज़र मो पे रखना तू हनुमान,

नज़र मो पे रखना तू ॥


तेरी मूरतिया पे मन मोरा अटका,

चढ़ाऊं तो पे सिंदूरी पटका,

तेरा संकटमोचन नाम ओ,

तेरा संकटमोचन नाम,

करूं मैं तेरा हर पल ध्यान,

नज़र मो पे रखना तू हनुमान,

नज़र मो पे रखना तू ॥


तेरी गदा पर मन मेरा अटका,

प्यारी कथाओं में मन मोरा भटका,

तेरे अद्भुत सारे काम ओ,

तेरे अद्भुत सारे काम,

करूं मैं तेरा हर पल ध्यान,

नज़र मो पे रखना तू हनुमान,

नज़र मो पे रखना तू ॥


तेरे भजनों पे मन मोरा अटका,

प्यारा लगे हर रंग में पटका,

तेरे मन में राम का नाम ओ,

तेरे मन में राम का नाम,

करूं मैं तेरा हर पल ध्यान,

नज़र मो पे रखना तू हनुमान,

नज़र मो पे रखना तू ॥


तेरी पादुका पे मन मोरा अटका,

मुझे तो लग गया तेरा चसका,

तेरे चरणों में अंतर्ध्यान ओ,

तेरे चरणों में अंतर्ध्यान,

करूं मैं तेरा हर पल ध्यान,

नज़र मो पे रखना तू हनुमान,

नज़र मो पे रखना तू ॥


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दया करो हे दयालु गणपति (Daya Karo Hey Dayalu Ganpati)

शरण में आये है हम तुम्हारी,
दया करो हे दयालु गणपति,

ऐसो चटक मटक सो ठाकुर (Aiso Chatak Matak So Thakur)

ऐसो चटक मटक सो ठाकुर
तीनों लोकन हूँ में नाय

इष्टि पौराणिक कथा और महत्व

इष्टि, वैदिक काल का एक विशेष प्रकार का यज्ञ है। जो इच्छाओं की पूर्ति और जीवन में शांति लाने के उद्देश्य से किया जाता है। संस्कृत में 'इष्टि' का अर्थ 'यज्ञ' होता है। इसे हवन की तरह ही आयोजित किया जाता है।

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