मेरी माँ अंबे दुर्गे भवानी(Meri Maa Ambe Durga Bhawani)

मेरी माँ अंबे दुर्गे भवानी,

किस जगह तेरा जलवा नहीं है,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है,

तेरा जलवा जलवा जलवा,

तेरा जलवा जलवा जलवा,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है ॥


मेरी मैया के दर पे जो आते,

हर सवाली सभी कुछ है पाते,

जिसे मां पर नहीं है भरोसा,

सारी दुनिया से ठोकर वो खाते,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है ॥


लोग पीते हैं पी कर के गिरते,

हम तो पीते पर गिरते नहीं है,

हम तो पीते हैं भक्ति का प्याला,

दुनिया वालों से डरते नहीं है,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है ॥


जिसने चरणों पे सर को झुकाया,

दूर अपने गमो को हटाया,

मेरी मैया की चौखट जो आते,

फिर कही ना वो सर को झुकाते,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है ॥


मां के दर पर तो आकर के देखो,

अपने आंसू बहाकर तो देखो,

तुम रोते हो दुनिया के आगे,

दुख मां को सुना कर तो देखो,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है ॥


मेरी माँ अंबे दुर्गे भवानी,

किस जगह तेरा जलवा नहीं है,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है,

तेरा जलवा जलवा जलवा,

तेरा जलवा जलवा जलवा,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है ॥

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आयी बरसाने वाली है आयी (Aayi Barsane Wali Hai Aayi)

आयी बरसाने वाली है आयी,
रास रचते है कृष्ण कन्हाई ॥

क्यों मनाते हैं सकट चौथ

सकट चौथ व्रत करने से भगवान गणेश जी प्रसन्न होते हैं और सभी प्रकार के दुखों को हर लेते हैं। इस दिन माताएं अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य और दीर्घायु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ करना बेहद आवश्यक माना गया है।

गणेश चालीसा (Ganesh Chalisa)

प्रथम वंदनीय गणेशजी को समर्पित मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की आराधना का विशेष महत्व है।

माघ पूर्णिमा व्रत विधि

हिंदू धर्म में, पूर्णिमा का विशेष महत्त्व होता है। प्रत्येक महीने में एक बार पूर्णिमा का व्रत आता है। यह माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस दिन माता लक्ष्मी के साथ-साथ चंद्र देव की पूजा भी की जाती है।

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