मेरी माँ अंबे दुर्गे भवानी(Meri Maa Ambe Durga Bhawani)

मेरी माँ अंबे दुर्गे भवानी,

किस जगह तेरा जलवा नहीं है,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है,

तेरा जलवा जलवा जलवा,

तेरा जलवा जलवा जलवा,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है ॥


मेरी मैया के दर पे जो आते,

हर सवाली सभी कुछ है पाते,

जिसे मां पर नहीं है भरोसा,

सारी दुनिया से ठोकर वो खाते,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है ॥


लोग पीते हैं पी कर के गिरते,

हम तो पीते पर गिरते नहीं है,

हम तो पीते हैं भक्ति का प्याला,

दुनिया वालों से डरते नहीं है,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है ॥


जिसने चरणों पे सर को झुकाया,

दूर अपने गमो को हटाया,

मेरी मैया की चौखट जो आते,

फिर कही ना वो सर को झुकाते,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है ॥


मां के दर पर तो आकर के देखो,

अपने आंसू बहाकर तो देखो,

तुम रोते हो दुनिया के आगे,

दुख मां को सुना कर तो देखो,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है ॥


मेरी माँ अंबे दुर्गे भवानी,

किस जगह तेरा जलवा नहीं है,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है,

तेरा जलवा जलवा जलवा,

तेरा जलवा जलवा जलवा,

तेरा जलवा कोई कोई देखे,

हर किसी का मुकद्दर नहीं है ॥

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ब्रह्मन्! स्वराष्ट्र में हों, द्विज ब्रह्म तेजधारी (Brahman Swarastra Mein Hon)

वैदिक काल से राष्ट्र या देश के लिए गाई जाने वाली राष्ट्रोत्थान प्रार्थना है। इस काव्य को वैदिक राष्ट्रगान भी कहा जा सकता है। आज भी यह प्रार्थना भारत के विभिन्न गुरुकुलों व स्कूल मे गाई जाती है।

लागी लागी है लगन म्हाने श्याम नाम की (Lagi Lagi Hai Lagan Mahne Shyam Naam Ki)

लागी लागी है लगन,
म्हाने श्याम नाम की,

ऋण-मोचक मंगल-स्तोत्रं (Rin Mochak Mangal Stotram)

मंगलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रद:। स्थिरासनो महाकाय: सर्व-कर्मावरोधकः॥1॥

सुनले ओ मेरी मैया, मुझे तेरा ही सहारा (Sunle O Meri Maiya Mujhe Tera Hi Sahara)

सुनले ओ मेरी मैया,
मुझे तेरा ही सहारा,

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