न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ: कामना (Na Dhan Dharti Na Dhan Chahata Hun: Kamana)

न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ ।

कृपा का तेरी एक कण चाहता हूँ ॥


रहे नाम तेरा वो चाहूं मैं रसना ।

सुने यश तेरा वह श्रवण चाहता हूँ ॥


न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ ।

कृपा का तेरी एक कण चाहता हूँ ॥


विमल ज्ञान धारा से मस्तिष्क उर्बर ।

व श्रद्धा से भरपूर मन चाहता हूँ ॥


न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ ।

कृपा का तेरी एक कण चाहता हूँ ॥


करे दिव्य दर्शन तेरा जो निरन्तर ।

वही भाग्यशाली नयन चाहता हूँ ॥


न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ ।

कृपा का तेरी एक कण चाहता हूँ ॥


नहीं चाहता है मुझे स्वर्ग छवि की ।

मैं केवल तुम्हें प्राण धन ! चाहता हूँ ॥


न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ ।

कृपा का तेरी एक कण चाहता हूँ ॥


प्रकाश आत्मा में अलौकिक तेरा है ।

परम ज्योति प्रत्येक क्षण चाहता हूँ ॥


न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ ।

कृपा का तेरी एक कण चाहता हूँ ॥


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बांके बिहारी तेरे नैना कजरारे, नजर ना लग जाए (Banke Bihari Tere Naina Kajrare Nazar Na Lag Jaye)

बांके बिहारी तेरे नैना कजरारे,
नजर ना लग जाए,

Shri Saraswati Chalisa (श्री सरस्वती चालीसा)

जनक जननि पद कमल रज, निज मस्तक पर धारि।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥

ओ गंगा तुम, गंगा बहती हो क्यूँ (O Ganga Tum,Ganga Behti Ho Kiyon)

करे हाहाकार निःशब्द सदा
ओ गंगा तुम, गंगा बहती हो क्यूँ?

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