न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ: कामना (Na Dhan Dharti Na Dhan Chahata Hun: Kamana)

न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ ।

कृपा का तेरी एक कण चाहता हूँ ॥


रहे नाम तेरा वो चाहूं मैं रसना ।

सुने यश तेरा वह श्रवण चाहता हूँ ॥


न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ ।

कृपा का तेरी एक कण चाहता हूँ ॥


विमल ज्ञान धारा से मस्तिष्क उर्बर ।

व श्रद्धा से भरपूर मन चाहता हूँ ॥


न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ ।

कृपा का तेरी एक कण चाहता हूँ ॥


करे दिव्य दर्शन तेरा जो निरन्तर ।

वही भाग्यशाली नयन चाहता हूँ ॥


न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ ।

कृपा का तेरी एक कण चाहता हूँ ॥


नहीं चाहता है मुझे स्वर्ग छवि की ।

मैं केवल तुम्हें प्राण धन ! चाहता हूँ ॥


न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ ।

कृपा का तेरी एक कण चाहता हूँ ॥


प्रकाश आत्मा में अलौकिक तेरा है ।

परम ज्योति प्रत्येक क्षण चाहता हूँ ॥


न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ ।

कृपा का तेरी एक कण चाहता हूँ ॥


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मैया तेरे भक्तों को, तेरा ही सहारा है (Maiya Tere Bhakto Ko Tera Hi Sahara Hai)

मैया तेरे भक्तों को,
तेरा ही सहारा है

मेरी मैया ने ओढ़ी लाल चुनरी (Meri Maiya Ne Odhi Laal Chunari)

मेरी मैया ने ओढ़ी लाल चुनरी,
हीरो मोती जड़ी गोटेदार चुनरी,

म्हाने जाम्भोजी दीयो उपदेश(Mhane Jambhoji Diyo Upadesh)

म्हाने जाम्भोजी दीयो उपदेश,
भाग म्हारो जागियो ॥

महाकाल की गुलामी मेरे काम आ रही है (Mahakal Ki Gulami Mere Kam Aarhi Hai)

उनकी ही कृपा से
एकदम मस्त जिंदगी है

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