ओ मेरे बाबा भोलेंनाथ (O Mere Baba Bholenath)

ना मांगू मैं हीरे मोती,

ना मांगू मैं सोना चांदी,

मांगू तो बस तेरा साथ,

ओ मेरे बाबा भोलेनाथ,

ओ मेरे बाबा भोलेंनाथ ॥


उगता रहे यूँ ही सूरज तेरा,

तेरे बिना ना हो मेरा सवेरा,

तू ही तो है सब कुछ मेरा,

तेरे बिना नही कोई मेरा,

मुझे ले चल तू अपने साथ,

ओ मेरे बाबा भोलेंनाथ ॥


मार्कण्डेय के गले में पड़ा जब,

काल का पहरा,

भोले शंकर ने प्रकट होकर,

उस काल को घेरा,

नंदी को तूने मौत से बचाया,

मौत से बचाकर गण अपना बनाया,

रख मेरे भी सर पर भी हाथ,

ओ मेरे बाबा भोलेंनाथ ॥


कालो के काल शम्भू तुम हो विकराल,

कहती है दुनिया तुम्हे महाकाल,

तुम हो पिता मैं तुम्हारा हूँ लाल,

मिल जाओ मुझको हो जाए कमाल,

मेरे जीवन की नैया तेरे हाथ,

ओ मेरे बाबा भोलेंनाथ ॥


ना मांगू मैं हीरे मोती,

ना मांगू मैं सोना चांदी,

मांगू तो बस तेरा साथ,

ओ मेरे बाबा भोलेनाथ,

ओ मेरे बाबा भोलेंनाथ ॥

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नंदी पे बिठा के तू, घूमा दे भोले(Nandi Pe Bitha Ke Tu Ghuma De Bhole)

नंदी पे बिठा के तू,
घूमा दे भोले जोगिया,

भोला नही माने रे नहीं माने (Bhola Nai Mane Re Nahi Mane)

भोला नही माने रे नहीं माने,
मचल गए नचबे को,

क्यों मनाई जाती है मत्स्य द्वादशी?

मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाने वाली मत्स्य द्वादशी भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की जयंती के रूप में मनाई जाती है।

क्यों खास है यशोदा जयंती

हिंदू धर्म में यशोदा जयंती बहुत खास मानी जाती है। यशोदा जयंती का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण की मां यशोदा के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने भले ही माता देवकी के गर्भ से जन्म लिया था परंतु उनका पालन-पोषण माता यशोदा ने ही किया था।

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