प्रभु जी तुम चंदन हम पानी (Prabhuji Tum Chandan Hum Pani)

प्रभु जी तुम चंदन हम पानी,

जाकी अंग-अंग बास समानी,

प्रभु जी तुम चँदन हम पानी ॥


प्रभु जी तुम घन बन हम मोरा,

जैसे चितवत चंद्र चकोरा,

प्रभु जी तुम चँदन हम पानी,

जाकी अंग-अंग बास समानी,

प्रभु जी तुम चँदन हम पानी ॥


प्रभु जी तुम मोती हम धागा,

जैसे सोनहिं मिलत सोहागा,

प्रभु जी तुम चँदन हम पानी,

जाकी अंग-अंग बास समानी,

प्रभु जी तुम चँदन हम पानी ॥


प्रभु जी तुम दीपक हम बाती,

जाकी जोति बरै दिन राती,

प्रभु जी तुम चँदन हम पानी,

जाकी अंग-अंग बास समानी,

प्रभु जी तुम चँदन हम पानी ॥


प्रभु जी तुम स्वामी हम दासा,

ऐसी भक्ति करे ‘रैदासा’,

प्रभु जी तुम चँदन हम पानी,

जाकी अंग-अंग बास समानी,

प्रभु जी तुम चँदन हम पानी ॥


प्रभु जी तुम चंदन हम पानी,

जाकी अंग-अंग बास समानी,

प्रभु जी तुम चँदन हम पानी ॥

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मेरा तो बस एक सहारा, राम ए माँ (Mera To Bas Ek Sahara Ram Ae Maa)

मेरा तो बस एक सहारा,
राम ए माँ,

मासिक दुर्गाष्टमी तिथि और शुभ-मुहूर्त

प्रत्येक महीने की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन देवी दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है। धार्मिक मत है कि जगत की देवी मां दुर्गा के चरण और शरण में रहने से साधक को सभी प्रकार के सुखों मिलते हैं।

जो विधि कर्म में लिखे विधाता (Jo Vidhi Karam Me Likha Vidhata)

जो विधि कर्म में लिखे विधाता,
मिटाने वाला कोई नहीं,

कैसे दर आऊं, मैं तेरे दरश पाने को (Kaise Dar Aau Main Tere Darash Pane Ko)

कैसे दर आऊं,
मैं तेरे दरश पाने को,

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