प्रीत मे पूजे नाम तुम्हारा (Preet Main Puje Naam Tumhara)

प्रीत मे पूजे नाम तुम्हारा,

गणपति जगत खिवैया,

शिव नँदन अब आज हमारी,

पार लगाना नैय्या,

जय गौरी के लाला ॥


खजराना मे आन बिराजे,

ये मेरे गणराज रे,

रिद्धि सिद्धि के दाता देखो,

ये मेरे महराज रे,

तुम हि दिन बंधु दुख हरता,

तुम ही सर्व जगत के कर्ता,

आन विराजौ बिछी हुई है,

आशाओं की छैया,

शिव नँदन अब आज हमारी,

पार लगाना नैय्या,

जय गौरी के लाला ॥


लेकर द्वार तुम्हारे आये,

ये फूलों की माला,

देखो हमको भूल ना जाना,

तु सबका रखवाला,

तुमहि दिन बंधु दुख हरता,

तुम ही सर्व जगत के कर्ता,

आन विराजौ बिछी हुई है,

आशाओं की छैया,

शिव नँदन अब आज हमारी,

पार लगाना नैय्या,

जय गौरी के लाला ॥


भक्ति का ज्ञान देदे हमको,

शक्ति की इक्छा देदे,

नस नस मे हो प्रेम भावना,

ऐसी इच्छा दे दे,

तुमहि दिन बंधु दुख हरता,

तुम ही सर्व जगत के कर्ता,

आन विराजौ बिछी हुई है,

आशाओं की छैया,

शिव नँदन अब आज हमारी,

पार लगाना नैय्या,

जय गौरी के लाला ॥


प्रीत मे पूजे नाम तुम्हारा,

गणपति जगत खिवैया,

शिव नँदन अब आज हमारी,

पार लगाना नैय्या,

जय गौरी के लाला ॥

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रामदूत महावीर हनुमान, स्वीकारो (Ramdoot Mahavir Hanuman Sweekaro)

प्रनवउँ पवनकुमार,
खल बन पावक ग्यान घन,

बालाजी तुम्हारे चरणों में, मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ (Balaji Tumhare Charno Mein Main Tumhe Rjhane Aaya Hun)

बालाजी तुम्हारे चरणों में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥

भागीरथ-नंदिनी जी की आरती (Bhagirath-Nandini Ji Ki Aarti)

जय जय भगीरथ-नंदिनी, मुनि-चय चकोर-चन्दिनी,
नर-नाग-बिबुध-वंदिनी, जय जह्नुबालिका।

चैत्र और शारदीय नवरात्रि में अंतर

सनातन परंपरा में नवरात्रि का पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहला चैत्र के महीने में, जिससे हिंदू नव वर्ष की भी शुरुआत होती है, जिसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है। दूसरा, आश्विन माह में आता है, जिसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं।

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