पूरब से जब सूरज निकले (Purab Se Jab Suraj Nikle)

पूरब से जब सूरज निकले,

सिंदूरी घन छाए,

पवन के पग में नुपुर बाजे,

मयूर मन मेरा गाये,

मन मेरा गाये,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय ॥


पुष्प की माला थाल सजाऊं,

गंगाजल भर कलश मैं लाऊं,

नव ज्योति के दीप जलाऊं,

चरणों में नित शीश झुकाऊं,

भाव विभोर होके भक्ति में,

रोम रोम रम जाये,

मन मेरा गाये,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय ॥


अभयंकर शंकर अविनाशी,

मैं तेरे दर्शन की अभिलाषी,

जन्मों की पूजा की प्यासी,

मुझपे करना कृपा जरा सी,

तेरे सिवा मेरे प्राणों को,

और कोई ना भाये,

मन मेरा गाये,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय ॥


पूरब से जब सूरज निकले,

सिंदूरी घन छाए,

पवन के पग में नुपुर बाजे,

मयूर मन मेरा गाये,

मन मेरा गाये,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय ॥


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दुर्गा चालीसा पाठ

धार्मिक मान्यता है कि मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना और व्रत करने से जातक की हर मनोकामना पूरी होती है। इस दिन दुर्गा चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए।

जगन्नाथ रथ यात्रा क्यों मानते हैं

सनातन धर्म में हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा को रथ महोत्सव और गुंडिचा यात्रा के नाम से भी जाना जाता है।

Shri Pitra Chalisa (श्री पितृ चालीसा)

हे पितरेश्वर नमन आपको, दे दो आशीर्वाद,
चरणाशीश नवा दियो रख दो सिर पर हाथ।

लचकि लचकि आवत मोहन (Lachaki Lachaki Awat Mohan)

लचकि लचकि आवत मोहन,
आवे मन भावे

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