राम को मांग ले मेरे प्यारे (Ram Ko Maang Le Mere Pyare)

राम को मांग ले मेरे प्यारे

उम्र भर को सहारा मिलेगा

सिर्फ इनकी शरण ही में

जिंदगी भर गुजारा मिलेगा

राम को मांग ले मेरे प्यारे


कितना दो हाथों से ले सकेगा

देने वाले की है लाख बांहें

इसकी बांह पकड़ कर तो देखो

खुशनुमा सा नजारा मिलेगा

राम को मांग ले मेरे प्यारे


खुद को तन्हा समझता है तू

कण कण में वह समाया है

दुख में आवाज देकर तो देखो

कौशल्या का दुलारा मिलेगा

राम को मांग ले मेरे प्यारे


रुप नैनो में इनको बसा लो

नाम लेते रहो चलते - फिरते

चाहे तूफां हो या भंवर हो

हर सफर में किनारा मिलेगा

राम को मांग ले मेरे प्यारे

उम्र भर को सहारा मिलेगा

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श्री शिवरामाष्टकस्तोत्रम्

शिवहरे शिवराम सखे प्रभो,त्रिविधताप-निवारण हे विभो।
अज जनेश्वर यादव पाहि मां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

हरी नाम सुमिर सुखधाम, जगत में (Hari Nam Sumir Sukhdham Jagat Mein)

हरी नाम सुमिर सुखधाम,
हरी नाम सुमिर सुखधाम

ब्रह्मन्! स्वराष्ट्र में हों, द्विज ब्रह्म तेजधारी (Brahman Swarastra Mein Hon)

वैदिक काल से राष्ट्र या देश के लिए गाई जाने वाली राष्ट्रोत्थान प्रार्थना है। इस काव्य को वैदिक राष्ट्रगान भी कहा जा सकता है। आज भी यह प्रार्थना भारत के विभिन्न गुरुकुलों व स्कूल मे गाई जाती है।

मोरी मैय्या की चूनर उड़ी जाए

धीरे चलो री, पवन धीरे - धीरे चलो री।
धीरे चलो री पुरवइया।

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