राम को मांग ले मेरे प्यारे (Ram Ko Maang Le Mere Pyare)

राम को मांग ले मेरे प्यारे

उम्र भर को सहारा मिलेगा

सिर्फ इनकी शरण ही में

जिंदगी भर गुजारा मिलेगा

राम को मांग ले मेरे प्यारे


कितना दो हाथों से ले सकेगा

देने वाले की है लाख बांहें

इसकी बांह पकड़ कर तो देखो

खुशनुमा सा नजारा मिलेगा

राम को मांग ले मेरे प्यारे


खुद को तन्हा समझता है तू

कण कण में वह समाया है

दुख में आवाज देकर तो देखो

कौशल्या का दुलारा मिलेगा

राम को मांग ले मेरे प्यारे


रुप नैनो में इनको बसा लो

नाम लेते रहो चलते - फिरते

चाहे तूफां हो या भंवर हो

हर सफर में किनारा मिलेगा

राम को मांग ले मेरे प्यारे

उम्र भर को सहारा मिलेगा

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करुणामयी किरपामयी, मेरी दयामयी राधे (Karunamayi Kripamayi Meri Dayamayi Radhe)

करुणामयी किरपामयी,
मेरी दयामयी राधे ॥

कृपा की न होती जो, आदत तुम्हारी(Kirpa Ki Na Hoti Jo Addat Tumhari)

मैं रूप तेरे पर, आशिक हूँ,
यह दिल तो तेरा, हुआ दीवाना

दुर्गा कवच पाठ

माता ललिता को दस महाविद्याओं की तीसरी महाविद्या माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन देवी की आराधना करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

पितृ पक्ष की पौराणिक कथा

संतान के द्वारा श्राद्धकर्म और पिंडदान आदि करने पर पितरों को तृप्ति मिलती है, और वे अपनी संतानों को धन-धान्य और खुश रहने का आशीर्वाद देते हैं।

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