राम नाम जपते है, मस्ती में रहते है(Ram Naam Japte Hai Masti Mein Rehte Hain)

राम नाम जपते है,

मस्ती में रहते है,

देव है ये सबसे निराला,

इसे कहते हैं बजरंगबाला,

ओ बाला इसे कहते हैं बजरंगबाला ॥


मंगल को जन्मे है मंगल ही करते,

शुक्र और शनि जिनका पानी है भरते,

राम का दीवाना है,

कहता ये जमाना है,

देव है ये सबसे निराला,

इसे कहते हैं बजरंगबाला,

ओ बाला इसे कहते हैं बजरंगबाला ॥


नारियल हो के साथ सवा रुपैया,

भेंट जो चढ़ाए पार कर देते नैया,

बिगड़ी ये बनाते है,

गले से लगाते है,

ऐसे है अंजनी के लाला,

इसे कहते हैं बजरंगबाला,

ओ बाला इसे कहते हैं बजरंगबाला ॥


सिर पे मुकुट कुण्डल कानो में सोहे,

झांकी निराली जो भक्तों को मोहे,

बाँध के लंगोटा जो,

लेके हाथ सोटा जो,

दुष्टों का मुंह करते काला,

इसे कहते हैं बजरंगबाला,

ओ बाला इसे कहते हैं बजरंगबाला ॥


जानकी के प्यारे है अंजनी के दुलारे है,

कलयुग में हमसब भक्तों के सहारे है,

राम का दीवाना है,

कहता जमाना है,

‘नरसी’ को तुमने संभाला,

इसे कहते हैं बजरंगबाला,

ओ बाला इसे कहते हैं बजरंगबाला ॥


राम नाम जपते है,

मस्ती में रहते है,

देव है ये सबसे निराला,

इसे कहते हैं बजरंगबाला,

ओ बाला इसे कहते हैं बजरंगबाला ॥


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चैत्र मासिक कृष्ण जन्माष्टमी

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है, जो भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को जन्मे थे।

गंगा से गंगाजल भरक (Ganga Se Gangajal Bharke)

गंगा से गंगाजल भरके,
काँधे शिव की कावड़ धरके,

फूलो से अंगना सजाउंगी (Phoolon Se Angana Sajaungi)

फूलो से अंगना सजाउंगी
जब मैया मेरे घर आएंगी।

श्री विन्धेश्वरी चालीसा (Shri Vindheshwari Chalisa)

नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब ।
सन्तजनों के काज में, करती नहीं विलम्ब ॥

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