राम नाम जपते रहो, जब तक घट घट मे प्राण (Ram Nam Japte Raho, Jab Tak Ghat Ghat Me Ram)

राम नाम जपते रहो,

जब तक घट घट मे प्राण ।

राम भजो, राम रटो,

राम साधो, राम राम ॥


राम की महिमा का,

कोई आर न कोई पार रे ।

लाख जतन किये,

फिर भी न समझ संसार रे ।

राम के चरणों में मिले,

इस जग के सारे धाम ।

राम भजो, राम रटो,

राम साधो, राम राम ॥


तन में, मन में, और हृदय में,

राम का गुणगान हो ।

हर घडी, हर पल, हर क्षण,

राम का ही ध्यान हो ।

राम में ही मग्न रहे,

भक्ति हो सुबह शाम ।

राम भजो, राम रटो,

राम साधो, राम राम ॥


राम नाम जपते रहो,

जब तक घट घट मे प्राण ।

राम भजो, राम रटो,

राम साधो, राम राम ॥


राम भजो, राम रटो,

राम साधो, राम राम ॥

राम भजो, राम रटो,

राम साधो, राम राम ॥

राम भजो, राम रटो,

राम साधो, राम राम ॥

राम भजो, राम रटो,

राम साधो, राम राम ॥


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बाबा का दरबार सुहाना लगता है (Baba Ka Darbar Suhana Lagta Hai)

बाबा का दरबार सुहाना लगता है,
भक्तों का तो दिल दीवाना लगता है ॥

झूलन चलो हिंडोलना, वृषभान नंदनी (Jjhulan Chalo Hindolana Vrashbhanu Nandni)

झूलन चलो हिंडोलना, वृषभान नंदनी,
झूलन चलो हिडोलना, वृषभान नंदनी।

अरज सुणो बनवारी (Araj Suno Banwari)

अरज सुणो बनवारी सांवरियां म्हारी,
अरज सुणो बनवारी,

बैंगन छठ की कहानी क्या है

हर साल बैंगन छठ या चंपा षष्ठी का यह व्रत मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है। इसे बैंगन छठ के नाम से भी जानते हैं। दरअसल, इस पूजा में बैंगन चढ़ाते हैं इसलिए इसे बैंगन छठ कहा जाता है।

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