सखी री बांके बिहारी से हमारी लड़ गयी अंखियाँ (Sakhi Ri Bank Bihaari Se Hamari Ladgayi Akhiyan)

सखी री बांके बिहारी से

हमारी लड़ गयी अंखियाँ ।

बचायी थी बहुत लेकिन

निगोड़ी लड़ गयी अखियाँ ॥


ना जाने क्या किया जादू

यह तकती रह गयी अखियाँ ।

चमकती हाय बरछी सी

कलेजे गड़ गयी आखियाँ ॥


चहू दिश रस भरी चितवन

मेरी आखों में लाते हो ।

कहो कैसे कहाँ जाऊं

यह पीछे पद गयी अखियाँ ॥


भले तन से निकले प्राण

मगर यह छवि ना निकलेगी ।

अँधेरे मन के मंदिर में

मणि सी गड़ गयी अखियाँ ॥


सखी री बांके बिहारी से

हमारी लड़ गयी अंखियाँ ।

बचायी थी बहुत लेकिन

निगोड़ी लड़ गयी अखियाँ ॥


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मोक्षदा एकादशी पर दुर्लभ संयोग

हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी मनाई जाती है। इस वर्ष 11 दिसंबर 2024 को यह पावन पर्व मनाया जाएगा। इस दिन गीता जयंती का भी पर्व होता है।

वृन्दावन के ओ बांके बिहारी (Vrindavan Ke O Banke Bihari )

वृन्दावन के ओ बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ॥

नमो नमो हे भोले शंकरा(Namo Namo Hey Bhole Shankara)

मैंने पाया नशा है,
मेरा बस तुझमे,

विनती सुनलो मेरे गणराज (Vinti Sun Lo Mere Ganraj)

विनती सुनलो मेरे गणराज आज भक्ति क़ा फल दीजिये,
पहले तुमको मनाता हूँ मै देवा कीर्तन सफल कीजिए ॥

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