शिव कैलाशो के वासी (Shiv Kailasho Ke Vasi)

शिव कैलाशो के वासी,

धौली धारों के राजा,

शंकर संकट हरना,

शंकर संकट हरना ॥


तेरे कैलाशों का अंत ना पाया,

तेरे कैलाशों का अंत ना पाया,

अंत बेअंत तेरी माया,

ओ भोले बाबा,

अंत बेअंत तेरी माया,

शिव कैलाशों के वासी,

धौली धारों के राजा,

शंकर संकट हरना,

शंकर संकट हरना ॥


बेल की पत्तियां भांग धतुरा,

बेल की पत्तियां भांग धतुरा,

शिव जी के मन को लुभायें,

ओ भोले बाबा,

शिव जी के मन को लुभायें

शिव कैलाशों के वासी,

धौली धारों के राजा,

शंकर संकट हरना,

शंकर संकट हरना ॥


एक था डेरा तेरा,

चम्बे रे चौगाना,

दुज्जा लायी दित्ता भरमौरा,

ओ भोले बाबा,

दुज्जा लायी दित्ता भरमौरा,

शिव कैलाशों के वासी,

धौली धारों के राजा,

शंकर संकट हरना,

शंकर संकट हरना ॥


शिव कैलाशो के वासी,

धौली धारों के राजा,

शंकर संकट हरना,

शंकर संकट हरना ॥

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बजरंग बाला बड़ा हो मतवाला (Bajrang Bala Bada Ho Matwala)

बजरंग बाला बड़ा हो मतवाला,
म्हे फेरा थारी माला,

आओ आओ गजानन आओ (Aao Aao Gajanan Aao )

आओ आओ गजानन आओ,
आके भक्तों का मान बढ़ाओ ॥

ललिता चालीसा का पाठ

ललिता जयंती का पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। ललिता माता आदिशक्ति त्रिपुर सुंदरी जगत जननी हैं। मान्यता है कि देवी के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

मेरे राघव जी उतरेंगे पार, गंगा मैया धीरे बहो(Mere Raghav Ji Utrenge Paar, Ganga Maiya Dheere Baho)

मेरे राघव जी उतरेंगे पार,
गंगा मैया धीरे बहो,

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