अंजनी के लाल तुमको, मेरा प्रणाम हो (Anjani Ke Lal Tumko Mera Pranam Ho)

अंजनी के लाल तुमको,

मेरा प्रणाम हो,

शत शत प्रणाम,

कोटि कोटि प्रणाम हो,

अँजनी के लाल तुमको,

मेरा प्रणाम हो ॥


रूद्र रूप में तुम हो शंकर,

अति रणबाकुर रूप भयंकर,

रूद्र रूप में तुम हो शंकर,

अति रणबाकुर रूप भयंकर,

कनक भूधरा तन को प्रणाम हो,

अँजनी के लाल तुमको,

मेरा प्रणाम हो ॥


सत योजन किया सागर पारा,

तुम्हरे बल को नहीं सुमारा,

सत योजन किया सागर पारा,

तुम्हरे बल को नहीं सुमारा,

तुम तो प्रभु अतुलित बलधाम हो,

अँजनी के लाल तुमको,

मेरा प्रणाम हो ॥


अक्षय मार वाटिका उजारि,

सोने की लंका पल में है जारी,

अक्षय मार वाटिका उजारि,

सोने की लंका पल में है जारी,

दुष्ट दलन तुम वीर हनुमान हो,

अँजनी के लाल तुमको,

मेरा प्रणाम हो ॥


अंजनी के लाल तुमको,

मेरा प्रणाम हो,

शत शत प्रणाम,

कोटि कोटि प्रणाम हो,

अँजनी के लाल तुमको,

मेरा प्रणाम हो ॥

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मेरा तो बस एक सहारा, राम ए माँ (Mera To Bas Ek Sahara Ram Ae Maa)

मेरा तो बस एक सहारा,
राम ए माँ,

मेरे लखन दुलारें बोल कछु बोल (Mere Lakhan Dulare Bol Kachhu Bol)

मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल,
मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल,

क्यों मनाई जाती है गणाधिप संकष्टी चतुर्थी, जानें इस दिन का महत्व

हर महीने की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है, लेकिन मार्गशीर्ष मास की चतुर्थी तिथि को विशेष रूप से गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है।

बच्छ बारस व्रत कथा (Bachh Baras Vrat Katha)

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