बाँधा था द्रौपदी ने तुम्हे (Bandha Tha Draupadi Ne Tumhe Char Taar Main)

बाँधा था द्रौपदी ने तुम्हे,

चार तार में ।

खूब जान लिया बाँधा,

एक पुष्प-हार में ॥


बाँधा था द्रौपदी ने तुम्हे,

चार तार में ।

खूब जान लिया बाँधा,

एक पुष्प-हार में ॥


वृंदा ने प्रेम डोर से,

बाँधा था तुम्ही को ।

वृषभानु किशोरी ने,

तुम्हे एक प्यार में ॥

॥ बाँधा था द्रौपदी ने..॥


बाँधा था तुम्हे साग खिला,

भक्त विधुर ने ।

गणिका ने सुना राम,

बड़ों की पुकार में॥

॥ बाँधा था द्रौपदी ने..॥


बाँधा था पवन पुत्र ने,

बूटी के बाण में ।

केवट ने लिया बाँधा,

पद पखार में ॥

॥ बाँधा था द्रौपदी ने..॥


दो अक्षरों के नाम से,

प्रह्लाद ने बाँधा ।

सबरी ने लिया बाँधा,

तुम्हे बैर चार में ॥

॥ बाँधा था द्रौपदी ने..॥


सदना ने रखा प्रेम,

तराजू में पकड़कर ।

किस अधम ने रखा है,

आंशुओं की धार में ॥

॥ बाँधा था द्रौपदी ने..॥


बाँधा था द्रौपदी ने तुम्हे,

चार तार में ।

खूब जान लिया बाँधा,

एक पुष्प-हार में ॥

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ललिता देवी मंदिर शक्तिपीठ

मां ललिता देवी का मंदिर देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यह मंदिर 88 हजार ऋषियों की तपस्थली, वेदों और पुराणों की रचना स्थली नैमिषारण्य में स्थित है। मां ललिता देवी को त्रिपुर सुंदरी के नाम से भी जाना जाता है।

सोमवती अमावस्या व्रत से बदलेगी किस्मत

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कब है माघ पूर्णिमा व्रत

सनातन हिंदू धर्म में माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। पूर्णिमा के शुभ अवसर पर भक्त भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं। जिससे उनका जीवन खुशहाल होता है। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए व्रत भी किया जाता है।

मुझे झुँझनु में अगला जनम देना (Mujhe Jhunjhunu Me Agla Janam Dena)

मेरी भक्ति के बदले वचन देना,
मुझे झुँझनु में अगला जनम देना ॥

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