बजरंग बाला बड़ा हो मतवाला (Bajrang Bala Bada Ho Matwala)

बजरंग बाला बड़ा हो मतवाला,

म्हे फेरा थारी माला,

लागो हो मनभावना,

आवो आवो नी,

बालाजी म्हारे आंगणा ॥


सालासर सु दास पधारो,

पूनरासर सु वीर जी,

मेहंदीपुर से घाटे वाला,

खेतोंलाव कपि धीर जी,

बेगा आओ संग में लावो,

सियाराम की जोड़ी,

धोक लगावा,

थारो पाट थरपावा,

चरणों में शीश नवावा,

लागो हो मनभावना,

आवो आवो नी,

बालाजी म्हारे आंगणा ॥


गंगाजल रो कलश भरियो है,

आप पियौ म्हारा बालाजी,

तेल थारे चमेली रो लायो,

आप लगाओ म्हारा बालाजी,

लाल लंगोटा हाथ में घोटा,

रूप बनाज्यो छोटा,

भगत गावे महिमा सुनावे,

चरणों में शीश झुकावे,

लागो हो मनभावना,

आवो आवो नी,

बालाजी म्हारे आंगणा ॥


खीर चूरमा रो भोग बनायो,

थे जिमो म्हारा बालाजी,

पानी नये कुए रो मंगायों,

आप पियो म्हारा बालाजी,

प्रेम पुजारी बाबे म्हारी,

किस्मत ने सवारी,

महिमा गांवा घणा सुख पावा,

चरणों में शीश नवावा,

लागो हो मनभावना,

आवो आवो नी,

बालाजी म्हारे आंगणा ॥


बजरंग बाला बड़ा हो मतवाला,

म्हे फेरा थारी माला,

लागो हो मनभावना,

आवो आवो नी,

बालाजी म्हारे आंगणा ॥

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श्री शिव चालीसा

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान।।

दुर्गा है मेरी मां, अम्बे है मेरी मां

जयकारा शेरावाली दा
बोल सांचे दरबार की जय।
दुर्गा है मेरी मां, अम्बे है मेरी मां।
(दुर्गा है मेरी मां, अम्बे है मेरी मां।)

फाल्गुन शुक्ल आमलकी नाम एकादशी व्रत (Falgun Shukal Aamlaki Naam Ekadashi Vrat)

एक समय अयोध्या नरेश महाराज मान्धाता ने प अपने कुल गुरु महर्षि वसिष्ठ जी से पूछा-भगवन् ! कोई अत्यन्त उत्तम और अनुपम फल देने वाले व्रत के इतिहास का वर्णन कीजिए, जिसके सुनने से मेरा कल्याण हो।

गुरू प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रदोष व्रत सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। हर महीने दो प्रदोष व्रत और पूरे साल में 24 व्रत होते हैं।

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