भरोसा कर तू ईश्वर पर (Bharosa Kar Tu Ishwar Par)

भरोसा कर तू ईश्वर पर,

तुझे धोखा नहीं होगा ।

यह जीवन बीत जायेगा,

तुझे रोना नहीं होगा ॥


कभी सुख है कभी दुख है,

यह जीवन धूप-छाया है ।

हँसी में ही बिता डालो,

बिताना ही यह माया है ॥


जो सुख आवे तो हंस लेना,

जो दुःख आवे तो सह लेना ।

न कहना कुछ कभी जग से,

प्रभु से ही तू कह लेना ॥


यह कुछ भी तो नहीं जग में,

तेरे बस कर्म की माया ।

तू खुद ही धूप में बैठा,

लखे निज रूप की छाया ॥


कहां पे था, कहां तू था,

कभी तो सोच ए बन्दे !

झुकाकर शीश को कह दे,

प्रभु वन्दे ! प्रभु वन्दे ॥

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16 सोमवार व्रत कथा (16 Somavaar Vrat Katha)

एक समय श्री महादेवजी पार्वती के साथ भ्रमण करते हुए मृत्युलोक में अमरावती नगरी में आए। वहां के राजा ने शिव मंदिर बनवाया था, जो कि अत्यंत भव्य एवं रमणीक तथा मन को शांति पहुंचाने वाला था। भ्रमण करते सम शिव-पार्वती भी वहां ठहर गए।

मोहे होरी में कर गयो तंग ये रसिया माने ना मेरी(Mohe Hori Mein Kar Giyo Tang Ye Rashiyan Mane Na Meri)

मोहे होरी में कर गयो तंग ये रसिया माने ना मेरी,
माने ना मेरी माने ना मेरी,

मैया आरासुरी करजो आशा पूरी (Maiya Aarasuri Kar Jo Aasha Puri)

मैया आरासुरी करजो आशा पूरी म्हारी अम्बे,
हूँ तो विनती करूँ जगदम्बे,

गोविंद चले चरावन धेनु(Govind Chale Charaavan Dhenu)

गोविंद चले चरावन धेनु
गृह गृह तें लरिका सब टेरे

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