बिन पानी के नाव (Bin Pani Ke Naav)

बिन पानी के नाव खे रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥


भूखें उठते है भूखे तो सोते नहीं,

दुःख आता है हमपे तो रोते नहीं,

दिन रात खबर ले रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥


उसके लाखों दीवाने बड़े से बड़े,

उसके चरणों में कंकर के जैसे पड़े,

फिर भी आवाज मेरी सुन रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥


मेरा छोटा सा घर महलों की रानी माँ,

मेरी औकात क्या महारानी है माँ,

साथ ‘बनवारी’ माँ रह रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥


ज्यादा कहता मगर कह नहीं पा रहा,

आंसू बहता मगर बह नहीं पा रहा,

दिल से आवाज ये आ रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥


बिन पानी के नाव खे रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥

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चौसठ जोगणी रे भवानी (Chausath Jogani Re Bhawani)

चौसठ जोगणी रे भवानी,
देवलिये रमजाय,

घुमा दें मोरछड़ी(Ghuma De Morchadi)

बाबा थारी मोरछड़ी,
घूमे करे कमाल ।

गुड़ी पड़वा क्यों मनाया जाता है

गुड़ी पड़वा मुख्य रूप से चैत्र माह में नवरात्रि की प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इसी दिन से नववर्ष की शुरुआत भी होती है। इस साल गुड़ी पड़वा 30 मार्च, रविवार को मनाई जाएगी और इसी दिन चैत्र नवरात्रि भी शुरू होगी।

गणपति मेरे अँगना पधारो (Ganpati Mere Angana Padharo)

गणपति मेरे अंगना पधारो,
आस तुमसे लगाए हुए है,

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