बिन पानी के नाव (Bin Pani Ke Naav)

बिन पानी के नाव खे रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥


भूखें उठते है भूखे तो सोते नहीं,

दुःख आता है हमपे तो रोते नहीं,

दिन रात खबर ले रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥


उसके लाखों दीवाने बड़े से बड़े,

उसके चरणों में कंकर के जैसे पड़े,

फिर भी आवाज मेरी सुन रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥


मेरा छोटा सा घर महलों की रानी माँ,

मेरी औकात क्या महारानी है माँ,

साथ ‘बनवारी’ माँ रह रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥


ज्यादा कहता मगर कह नहीं पा रहा,

आंसू बहता मगर बह नहीं पा रहा,

दिल से आवाज ये आ रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥


बिन पानी के नाव खे रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥

........................................................................................................
गाइये गणपति जगवंदन (Gaiye Ganpati Jagvandan)

गाइये गणपति जगवंदन ।
शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥

जिंदगी एक किराये का घर है - भजन (Zindgai Ek Kiraye Ka Ghar Hai)

जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर बन रहे मंगलकारी योग

सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन भक्त भगवान गणेश की आराधना कर सुख-समृद्धि और सफलता की कामना करते हैं। संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं।

मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की - माँ संतोषी भजन (Main Toh Aarti Utaru Re Santoshi Mata Ki)

मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की ।
मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की ।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने