बिन पानी के नाव (Bin Pani Ke Naav)

बिन पानी के नाव खे रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥


भूखें उठते है भूखे तो सोते नहीं,

दुःख आता है हमपे तो रोते नहीं,

दिन रात खबर ले रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥


उसके लाखों दीवाने बड़े से बड़े,

उसके चरणों में कंकर के जैसे पड़े,

फिर भी आवाज मेरी सुन रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥


मेरा छोटा सा घर महलों की रानी माँ,

मेरी औकात क्या महारानी है माँ,

साथ ‘बनवारी’ माँ रह रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥


ज्यादा कहता मगर कह नहीं पा रहा,

आंसू बहता मगर बह नहीं पा रहा,

दिल से आवाज ये आ रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥


बिन पानी के नाव खे रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥

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पत राखो गौरी के लाल, हम तेरी शरण आये (Pat Rakho Gauri Ke Lal Hum Teri Sharan Aaye)

पत राखो गौरी के लाल,
हम तेरी शरण आये ॥

छोटी होली कथा

होली से एक दिन पहले मनाई जाने वाली छोटी होली को होलिका दहन के रूप में जाना जाता है। यह पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और भक्त प्रह्लाद तथा होलिका की कथा से जुड़ा हुआ है।

बम बम भोला, पहना सन्यासी चोला (Bam Bam Bhola Pahna Sanyasi Chola)

बम बम बम बम बम भोला,
पहना सन्यासी चोला,

प्रभु राम का सुमिरन कर (Prabhu Ram Ka Sumiran Kar)

प्रभु राम का सुमिरन कर,
हर दुःख मिट जाएगा,

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