चौसठ जोगणी रे भवानी (Chausath Jogani Re Bhawani)

चौसठ जोगणी रे भवानी,

देवलिये रमजाय,

घूमर घालणि रे भवानी,

देवलिये रमजाय ॥


देवलिये रमजाय म्हारे,

आंगणिये रमजाय,


चौसठ जोगणी रे भवानी,

देवलिये रमजाय,

घूमर घालणि रे भवानी,

देवलिये रमजाय ॥


हंस सवारी कर मोरी मैया,

ब्रम्हा रूप बणायो,

ब्रम्हा रूप बणायो नवदुर्गा,

ब्रम्हा रूप बणायो,

चार वेद मुख चार बिराजे,

चारा रो जस गायो ॥


घूमर घालनी रे भवानी,

देवलिये रमजाय ॥


गरुड़ सवारी कर मेरी मैया,

विष्णु रूप बणायो,

विष्णु रूप बणायो नवदुर्गा,

विष्णु रूप बणायो,

गदा पदम संग चक्र बिराजे,

मधुबन रास रचायो ॥


घूमर घालनी रे भवानी,

देवलिये रमजाय ॥


नंदी सवारी कर मेरी मैया,

शक्ति रूप बणायो,

शक्ति रूप बणायो नवदुर्गा,

शक्ति रूप बणायो,

जटा मुकुट मै गंगा खळके,

शेष नाग लीपटायो ॥


घूमर घालनी रे भवानी,

देवलिये रमजाय ॥


सिंघ सवारी कर मेरी मैया,

शक्ति रूप बणायो,

शक्ति रूप बणायो नवदुर्गा,

शक्ति रूप बणायो,

सियाराम तेरी करे स्तुति,

भक्त मंडल जस गायो ॥


घूमर घालनी रे भवानी,

देवलिये रमजाय ॥


चौसठ जोगणी भवानी,

देवलिये रमजाय,

घूमर घालणि रे भवानी,

देवलिये रमजाय ॥

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श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मे (shri ram janki bethe hai mere seene me)

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मे,
देख लो मेरे दिल के नगीने में II

मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री(Meri Chunri Mein Pad Gayo Dag Ri)

मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री,
कैसो चटक रंग डारो,

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा

माघ मास की कृष्ण जन्माष्टमी, जो कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह इस साल 2025 में 21 जनवरी को पड़ रही है।

रामनवमी की पौराणिक कथा

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