चलो मन गंगा जमुना तीर (Chalo Man Ganga Yamuna Teer)

चलो मन गंगा जमुना तीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,

गंगा जमुना निर्मल पानी,

गंगा जमुना निर्मल पानी,

गंगा जमुना निर्मल पानी,

शीतल होत शरीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,


बंसी बजावत नाचत कान्हा,

संग लिये बलबीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,


मोर मुकुट पीताम्बर सोहे,

कुण्डल झलकत हीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,


मीरा के प्रभु गिरिधर नागर,

चरण कमल पर शीश,

चलो मन गंगा जमुना तीर,


चलो मन गंगा-जमुना तीर,

गंगा जमना निरमल पाणी

शीतल होत शरीर,


चलो मन गंगा जमुना तीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,

गंगा जमुना निर्मल पानी,

गंगा जमुना निर्मल पानी,

गंगा जमुना निर्मल पानी,

शीतल होत शरीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,

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क्या है वैदिक मंत्र?

दिक मंत्र सदियों से सनातन संस्कृति और हिंदू धर्म का अभिन्न हिस्सा रहा हैं। ये मंत्र प्राचीन वैदिक साहित्य से उत्पन्न हुए हैं और इनका उल्लेख वेदों, उपनिषदों और अन्य धर्मग्रंथों में भी मिलता है।

श्री गणेश स्तोत्रम्

कैलाशपर्वते रम्ये शम्भुं चन्द्रार्धशेखरम्।
षडाम्नायसमायुक्तं पप्रच्छ नगकन्यका॥

गोविन्द जय-जय, गोपाल जय-जय(Govind Jai Jai, Gopal Jai Jai)

गोविन्द जय-जय, गोपाल जय-जय
राधा-रमण हरि, गोविन्द जय-जय ॥ १ ॥

सज रही मेरी अम्बे मैया - माता भजन (Saj Rahi Meri Ambe Maiya Sunahare Gote Mein)

सज रही मेरी अम्बे मैया, सुनहरी गोटे में ।
सुनहरी गोटे में, सुनहरी गोटे में,

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