दादी चरणों में तेरे पड़ी, मैया (Dadi Charno Mein Tere Padi Maiya)

दादी चरणों में तेरे पड़ी,

मैया तुझको निहारूं खड़ी,

हाथ किरपा का रख दे जरा,

हाथ किरपा का रख दे जरा,

लागि नैनो में असुवन झड़ी,

मैया तुझको निहारूं खड़ी,

दादी चरणो में तेरे पड़ी,

मैया तुझको निहारूं खड़ी ॥


मैं तो दुखडो से हारी हूँ माँ,

थोड़ी मुझ पे इनायत भी हो,

तेरे चरणों में मैं रह सकूँ,

मुझको इतनी इजाजत माँ हो,

तेरी दरकार मुझको बड़ी,

मैया तुझको निहारूं खड़ी,

दादी चरणो में तेरे पड़ी,

मैया तुझको निहारूं खड़ी ॥


धुप में मैं ग़मों की जली,

दे दे आँचल की छैया मुझे,

घाव दिल पे हजारो लगे,

दादी कैसे दिखाऊं तुझे,

मेरी अँखियों में पीड़ा भरी,

मैया तुझको निहारूं खड़ी,

दादी चरणो में तेरे पड़ी,

मैया तुझको निहारूं खड़ी ॥


‘हर्ष’ तेरे सिवा मैंने तो,

माँ किसी को पुकारा नहीं,

तेरी ‘स्वाति’ अगर रोए तो,

मैया तुझको गवारा नहीं,

तेरी चौखट पे नजरे गड़ी,

मैया तुझको निहारूं खड़ी,

दादी चरणो में तेरे पड़ी,

मैया तुझको निहारूं खड़ी ॥


दादी चरणों में तेरे पड़ी,

मैया तुझको निहारूं खड़ी,

हाथ किरपा का रख दे जरा,

हाथ किरपा का रख दे जरा,

लागि नैनो में असुवन झड़ी,

मैया तुझको निहारूं खड़ी,

दादी चरणो में तेरे पड़ी,

मैया तुझको निहारूं खड़ी ॥

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कब है भीष्म द्वादशी

महाभारत में अर्जुन ने भीष्म पितामह को बाणों की शैय्या पर लिटा दिया था। उस समय सूर्य दक्षिणायन था। इसलिए, भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया और माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन अपने प्राण त्यागे।

विष्णु चालीसा पाठ

शास्त्रों के अनुसार, पापमोचनी एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन व्रत करने और भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना करने से भक्त के सभी पाप समाप्त होते हैं।

खरमास माह में तुलसी पूजा का महत्व

सनातन धर्म में तुलसी का खास महत्व है। तुलसी को लक्ष्मी का ही रूप माना जाता है। इसलिए, बिना तुलसी के श्रीहरि की पूजा पूरी नहीं मानी जाती। सभी घरों में सुबह-शाम तुलसी पूजा की जाती है।

रंगपंचमी के खास उपाय

रंग पंचमी का पर्व हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी ने होली खेली थी, और देवी-देवता भी होली खेलने के लिए पृथ्वी पर आए थे।

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