हमारे साथ श्री महाकाल, तो किस बात की चिंता (Hamare Sath Shri Mahakal To Kis Baat Ki Chinta)

कर्ता करे ना कर सके,

शिव करे सो होय,

तीन लोक नौ-खंड में,

शिव से बड़ा ना कोय ॥


हमारे साथ श्री महाकाल,

तो किस बात की चिंता,

शरण में रख दिया जब माथ,

तो किस बात की चिंता,

हमारे साथ श्री महांकाल,

तो किस बात की चिंता ॥


लगाई है लगन शिव से,

नहीं फिर जग से मोह माया,

मेरे संग संग में रहती है,

मेरे महाकाल की छाया,

की बनती है वहां हर बात,

तो किस बात की चिंता,

हमारे साथ श्री महांकाल,

तो किस बात की चिंता ॥


मेरे महाकाल के दर पे,

संवर जाती है तकदीरे,

प्रभु का नाम लेते ही,

बदल जाती है तासीरें,

मेरे महाकाल रखते है,

हर एक के काम की चिंता,

हमारे साथ श्री महांकाल,

तो किस बात की चिंता ॥


लगा ले तू लगन शिव से,

के हो जा जग से बेगाना,

मुक्कदर अपना बनवा ले,

बन महाकाल दीवाना,

के हर लेंगे मेरे स्वामी,

तेरे हर काल की चिंता,

हमारे साथ श्री महांकाल,

तो किस बात की चिंता ॥


हमारे साथ श्री महांकाल,

तो किस बात की चिंता,

शरण में रख दिया जब माथ,

तो किस बात की चिंता,

हमारे साथ श्री महांकाल,

तो किस बात की चिंता ॥

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जय राम रमा रमनं समनं (Jai Ram Rama Ramanan Samanan)

जय राम रमा रमनं समनं ।
भव ताप भयाकुल पाहि जनम ॥

जगदाती पहाड़ों वाली माँ, मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ (Jagdati Pahado Wali Maa Meri Bigdi Banane Aa Jao)

जगदाती पहाड़ों वाली माँ,
मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ,

विष्णुशयनी एकादशी एवं चातुर्मास व्रत (Vishnushayanee Ekaadashee Evan Chaaturmaas Vrat)

इस एकादशी का नाम विष्णुशयनी भी है। इसी दिन विष्णुजी का व्रत एवं चातुर्मास्य व्रत प्रारम्भ करना विष्णु पुराण से प्रकट होता है।

जय गणेश गणनाथ दयानिधि (Jai Ganesh Gananath Dayanidhi)

गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥

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