हम आये है तेरे द्वार, गिरजा के ललना (Hum Aaye Hai Tere Dwar Girija Ke Lalna)

हम आये है तेरे द्वार,

गिरजा के ललना,

हो देवो के सरदार,

गिरजा के ललना,

करने दीदार दीदार दीदार,

दीदार गिरजा के ललना,

अरे दे ताली दे ताली नाचे रे,

सब भक्त तेरे अंगना,

हम आये हैं तेरे द्वार,

गिरजा के ललना ॥


लंबोदर गजबदन गजानन,

लाये खुशहाली,

महक उठे वन उपवन खेतन,

आई हरियाली,

अरे झूम झूम के भगता तेरी,

करते वंदना,

अरे दे ताली दे ताली नाचे रे,

सब भक्त तेरे अंगना,

हम आये हैं तेरे द्वार,

गिरजा के ललना ॥


तीजा रही उपासी गौरा,

सह के कठिन कलेश,

लगत चौथ चंदा के नाईं,

पूजे गौर गणेश,

अरे लालन बनके महा शक्ति के,

झूले झूलना,

अरे दे ताली दे ताली नाचे रे,

सब भक्त तेरे अंगना,

हम आये हैं तेरे द्वार,

गिरजा के ललना ॥


घर घर मे तुम आये गणपति,

हो रही जय जयकार,

ये ‘बेनाम’ खड़ा कर जोरे,

ले फूलन के हार,

अपने इस ‘संदीप’ को गणपति,

दाता न भूलना,

अरे दे ताली दे ताली नाचे रे,

सब भक्त तेरे अंगना,

हम आये हैं तेरे द्वार,

गिरजा के ललना ॥


हम आये है तेरे द्वार,

गिरजा के ललना,

हो देवो के सरदार,

गिरजा के ललना,

करने दीदार दीदार दीदार,

दीदार गिरजा के ललना,

अरे दे ताली दे ताली नाचे रे,

सब भक्त तेरे अंगना,

हम आये हैं तेरे द्वार,

गिरजा के ललना ॥

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दुर्गा माता कथा

एक समय बृहस्पति जी ब्रह्माजी से बोले- हे ब्रह्मन श्रेष्ठ! चौत्र व आश्विन मास के शुक्लपक्ष में नवरात्र का व्रत और उत्सव क्यों किया जाता है?

पहली बार सकट चौथ करते समय इन बातों का ध्यान रखें

हिंदू धर्म में संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि से जुड़े कई व्रत-त्योहार हैं। जिनमें से सकट चौथ का पर्व विशेष माना जाता है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन महिलाएं संतान की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।

अपने दरबार में तू बुलालें (Apne Darbar Mein Tu Bula Le)

महाकाल बाबा उज्जैन वाले,
जीवन मेरा तेरे हवाले,

श्री गणपत्यथर्वशीर्षम् स्तोत्रम्

ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयामदेवाः भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः।
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवाꣳ सस्तनूभिःव्यशेम देवहितं यदायुः॥

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