हम लाड़ले खाटू वाले के हमें बाबा लाड़ लड़ाता है (Hum Ladale Khatu Wale Ke Hame Baba Laad Ladata Hai)

हम लाड़ले खाटू वाले के,

हमें बाबा लाड़ लड़ाता है,

होते है हम मायूस कभी,

ये मोरछड़ी लहराता है,

हम लाड़ले खाटु वाले के,

हमें बाबा लाड़ लड़ाता है ॥


ये मात पिता ये बंधू सखा,

ये अपना पालनहारा है,

हम सब तो इसको प्यारे है,

ये हमको जान से प्यारा है,

हम सबको बुलाकर खाटू में,

ये अपना प्यार लुटाता है,

हम लाड़ले खाटु वाले के,

हमें बाबा लाड़ लड़ाता है ॥


हो राहे कितनी कठिन मेरी,

दिखती ना हो हमको मंजिल,

मन हारा हो जब भी अपना,

एक कदम भी चलना हो मुश्किल,

ये हाथ पकड़कर बच्चो का,

उन्हें मंजिल तक पहुँचता है,

हम लाड़ले खाटु वाले के,

हमें बाबा लाड़ लड़ाता है ॥


जब चैन ना हो बैचेन हो दिल,

नींदे अपनी उड़ जाती है,

ऐसे में रो रो कर हमको,

जब श्याम की याद सताती है,

झट आकर के सर पे मेरे,

ये अपना हाथ फिराता है,

हम लाड़ले खाटु वाले के,

हमें बाबा लाड़ लड़ाता है ॥


हम गलती पे ग़लती करते है,

फिर भी ये हमसे प्यार करे,

हम नालायक बच्चो से सदा,

मात पिता सा व्यव्हार करे,

ये कान पकड़ कर ‘रोमी’ के,

हर गलती पे समझाता है,

हम लाड़ले खाटु वाले के,

हमें बाबा लाड़ लड़ाता है ॥


हम लाड़ले खाटू वाले के,

हमें बाबा लाड़ लड़ाता है,

होते है हम मायूस कभी,

ये मोरछड़ी लहराता है,

हम लाड़ले खाटु वाले के,

हमें बाबा लाड़ लड़ाता है ॥


........................................................................................................
Hey Bhole Baba Hey Bhandari (हे भोले बाबा हे भंडारी)

हे भोले बाबा हे भंडारी,
नाम जपूँ तेरा,

गणेश जी की आरती व मंत्र

प्रत्येक महीने दो पक्ष होते हैं शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है, जबकि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी कहलाती है। मार्गशीर्ष महीने में मनाई जाने वाली विनायक चतुर्थी भगवान गणेश की कृपा पाने का उत्तम समय है।

कब है रुक्मिणी अष्टमी?

हिंदू धर्म में पौष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण की पत्नी देवी रुक्मिणी को समर्पित है, जिन्हें माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, रुक्मिणी अष्टमी पर ही द्वापर युग में विदर्भ के महाराज भीष्मक के यहां देवी रुक्मिणी जन्मी थीं।

सबसे पहले मनाऊ गणराज, गजानंद आ जइयो (Sabse Pahle Manau Ganraj Gajanand Aa Jaiyo)

सबसे पहले मनाऊँ गणराज,
गजानंद आ जइयो,

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने