जबलपुर में काली विराजी है(Jabalpur Mein Kali Viraji Hai)

जबलपुर में काली विराजी है,

तरसे मोरी अंखियां,

दे दर्शन इस लाल को,

जो आऊं तोरि दुअरिया ॥


अरे भगतन खो दर्शन देबे ले लाने,

गढ़ा फाटक में देवी दिखानी है,

जबलपुर में काली विराजी है,

जबलपुर में काली विराजी हैं ॥


अरे रोगी खों काया,

निर्धन खो माया,

देती मात भवानी है,

जबलपुर में काली विराजी हैं ॥


अरे दानव दलन करे,

दुष्टों खों मारे,

ऐसी मां कल्याणी है,

जबलपुर में काली विराजी हैं ॥


अरे तू ही शारदा,

तू ही भवानी,

तू जग की रखवाली है,

जबलपुर में काली विराजी हैं ॥


अरे हाथ जोर सब,

अर्जी लगावें,

द्वारे पे सब नर नारी हैं,

जबलपुर में काली विराजी हैं ॥


अरे भगतन खो दर्शन देबे ले लाने,

गढ़ा फाटक में देवी दिखानी है,

जबलपुर में काली विराजी हैं,

जबलपुर में काली विराजी हैं ॥

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यही है प्रार्थना प्रभुवर (Yahi Hai Rrarthana Prabhuvar Jeevan Ye Nirala Ho)

सरलता, शीलता, शुचिता हों भूषण मेरे जीवन के।
सचाई, सादगी, श्रद्धा को मन साँचे में ढाला हो॥

वनदेवी की पूजा किस विधि से करें?

हिंदू धर्म में वनदेवी को जंगलों, वनस्पतियों, और वन्य जीवों की अधिष्ठात्री माना जाता है। वे प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन का प्रतीक हैं। इतना ही नहीं, कई आदिवासी समुदायों में वनदेवी को आराध्य देवी के रूप में पूजा जाता है।

जगत में कोई ना परमानेंट(Jagat Me Koi Na Permanent)

जगत में कोई ना परमानेंट,
जगत में कोई ना परमानेंट,

साँवरे सा कौन(Sanware Sa Kaun)

साँवरे सा कौन,
सांवरे सा कौन,

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