सोहर: जुग जुग जियसु ललनवा (Sohar: Jug Jug Jiya Su Lalanwa Ke)

जुग जुग जियसु ललनवा,

भवनवा के भाग जागल हो,

ललना लाल होइहे,

कुलवा के दीपक मनवा में,

आस लागल हो ॥


आज के दिनवा सुहावन,

रतिया लुभावन हो,

ललना दिदिया के होरिला जनमले,

होरिलवा बडा सुन्दर हो ॥


नकिया तहवे जैसे बाबुजी के,

अंखिया ह माई के हो

ललन मुहवा ह चनवा सुरुजवा त सगरो,

अन्जोर भइले हो ॥


सासु सुहागिन बड भागिन,

अन धन लुटावेली हो

ललना दुअरा पे बाजेला बधइया,

अन्गनवा उठे सोहर हो ॥


नाची नाची गावेली बहिनिया,

ललन के खेलावेली हो

ललना हंसी हंसी टिहुकी चलावेली,

रस बरसावेली हो ॥


जुग जुग जियसु ललनवा,

भवनवा के भाग जागल हो

ललना लाल होइहे,

कुलवा के दीपक मनवा में,

आस लागल हो ॥

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पितृ पक्ष की पौराणिक कथा

संतान के द्वारा श्राद्धकर्म और पिंडदान आदि करने पर पितरों को तृप्ति मिलती है, और वे अपनी संतानों को धन-धान्य और खुश रहने का आशीर्वाद देते हैं।

Shiv Stuti: Ashutosh Shashank Shekhar ( शिव स्तुति: आशुतोष शशाँक शेखर )

आशुतोष शशाँक शेखर,
चन्द्र मौली चिदंबरा,

बाँधा था द्रौपदी ने तुम्हे (Bandha Tha Draupadi Ne Tumhe Char Taar Main)

बाँधा था द्रौपदी ने तुम्हे,
चार तार में ।

म्हारी झुँझन वाली माँ, पधारो कीर्तन में(Mhari Jhunjhan Wali Maa Padharo Kirtan Me)

म्हारी झुँझन वाली माँ,
पधारो कीर्तन में,

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