काहे इतनी देर लगाई, आजा रे हनुमान आजा (Kahe Itni Der Lagai Aaja Re Hanuman Aaja)

काहे इतनी देर लगाई,

आजा रे हनुमान आजा,

आजा रे हनुमान आजा,

ओ अंजनी के लाल आजा,

लगी शक्ति पड़ा नीचे भाई,

आजा रे हनुमान आजा,

काहे इतनी देर लगायी,

आजा रे हनुमान आजा ॥


बैध सुषेन ने भेद बताया,

संजीवन से प्राण बचेंगे,

मुश्किल बहुत है लाना इसको,

कैसे काम आसान बनेंगे,

बोले पवनपुत्र मैं ले आता,

आजा रे हनुमान आजा,

काहे इतनी देर लगायी,

आजा रे हनुमान आजा ॥


द्रोणागिरी को चले पवनसुत,

राक्षस ने एक पछाड़ लगाई,

संजीवन को कैसे जानू,

हनुमान को समझ ना आई,

अब क्या मैं करूँ रघुराई,

आजा रे हनुमान आजा,

काहे इतनी देर लगायी,

आजा रे हनुमान आजा ॥


नर वानर सब सोच में बैठे,

राम बिलखते नीर बहाते,

संजीवन हनुमान ले आये तो,

भाई लखन के प्राण बचाते,

आज भोर ना हो जाये भाई,

आजा रे हनुमान आजा,

काहे इतनी देर लगायी,

आजा रे हनुमान आजा ॥


समय काल का पहिया चलता,

राम की आंख से अश्रु बहते,

अपनी माँ के इकलौते तुम,

लखन लाल से भैया कहते,

ऐसे रुदन करे रघुराई,

आजा रे हनुमान आजा,

काहे इतनी देर लगायी,

आजा रे हनुमान आजा ॥


इतने में एक पर्वत चलकर,

रणभूमि में उड़ता आता,

देखो पवनसुत हाथ मे लेकर,

द्रोणागिरी को लेकर आता,

तब लक्ष्मण जान बचाई,

आया रे हनुमान आया,

मेरे लखन जैसे तुम भाई,

आजा रे हनुमान आजा ॥


काहे इतनी देर लगाई,

आजा रे हनुमान आजा,

आजा रे हनुमान आजा,

ओ अंजनी के लाल आजा,

लगी शक्ति पड़ा नीचे भाई,

आजा रे हनुमान आजा,

काहे इतनी देर लगायी,

आजा रे हनुमान आजा ॥

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लेके पूजा की थाली, ज्योत मन की जगाली(Leke Pooja Ki Thali Jyot Man Ki Jagali)

लेके पूजा की थाली
ज्योत मन की जगा ली

लिङ्गाष्टकम् (Lingashtakam)

ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥

होलाष्टक से जुड़े पौराणिक कथा

होलाष्टक का सबसे महत्वपूर्ण कारण हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा से जुड़ा है। खुद को भगवान मानने वाला हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रह्लाद की भक्ति से नाराज था।

म्हारा कीर्तन में रस बरसाओ(Mhara Kirtan Mein Ras Barsao)

म्हारा कीर्तन मे रस बरसाओ,
आओ जी गजानन आओ ॥

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